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सरकार का बही-खाता: एक रुपये कमाई में कितना खर्च और कितना कर्ज? समझिए बजट का पूरा गणित

पिछले बजट में सरकार का फोकस वृहद-अर्थव्‍यवस्‍था स्‍तर के विकास करने के साथ-साथ सूक्ष्‍म-अर्थव्यवस्‍था स्‍तर के समावेशी कल्‍याण पर रहा था. केंद्रीय बजट में सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि देश के नागरिक अपने लिए रोटी, कपड़ा और मकान जैसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सके.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो-PTI)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो-PTI)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी. इस बजट से देश की जनता को टैक्स (Tax) में छूट समेत कई उम्मीदें हैं. वित्त मंत्री ने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि सरकार मिडिल क्लास पर पड़ रहे दबाव को समझती और उनकी बेहतरी के लिए आगे भी काम करती रहेगी. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश होने से पहले एक नजर पुराने बजट की खास बातों पर भी डाल लेते हैं. सरकार ने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक के लिए 39.44 लाख करोड़ रुपये का बजट खर्च करने का एक अनुमान बनाया था.

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कमाई और खर्च का ब्योरा

बजट सरकार की कमाई और खर्च का ब्योरा होता है. इसमें सरकार बताती है कि वो कहां से पैसा कमाएगी और कहां खर्च करेगी. सरकार को आमदनी टैक्स और ड्यूटी से होती है. जबकि, उसका खर्च योजनाओं, राज्यों को देने, सब्सिडी देने, पेंशन देने और डिफेंस वगैरह पर खर्च होता है. इस अंतर को दूर करने के लिए सरकार कर्ज लेती है. 2022-23 के आम बजट में सरकार ने खर्च और कर्ज का ब्योरा दिया था. 

35 पैसा उधार का

2022-23 बजट दस्तावेज के मुताबिक, सरकार की एक रुपये की कमाई में 35 पैसा उधार का है. वहीं, उसका 20 पैसा ब्याज का भुगतान करने में चला जाता है. सरकार की कमाई में 15 पैसा आम आदमी के इनकम टैक्स का होता है. इसके अलावा सरकार 15 पैसा की कमाई कार्पोरेशन टैक्स से करती है. एक्साइज ड्यूटी से 7 पैसे की कमाई होती है. कस्टम ड्यूटी से 5 पैसे और नॉन टैक्स रेवेन्यू 5 पैसे की कमाई होती है. सरकार जीएसटी से 16 पैसे की कमाई करती है. कैपिटल रिसिप्ट से 2 पैसा की आमदनी होती है.

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कहां खर्च करती है सरकार

सरकार 15 पैसे केंद्र की योजनाओं पर खर्च करती है. वित्त आयोग को 10 पैसा जाता है. 17 पैसा राज्यों का हिस्सा है. 20 पैसा ब्याज के भुगतान में जाता है. डिफेंस पर 8 पैसा खर्च होता है. सरकार सब्सिडी पर 8 पैसा खर्च करती है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर 9 पैसे, पेंशन पर 4 पैसे और अन्य खर्च के रूप में 9 पैसा जाता है. इस तरह सरकार ने पिछले बजट में अपने खर्च और आमदानी का लेखा-जोखा दिया था.

कम हो सकता है विनिवेश का लक्ष्य

पिछले बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 2022-23 के लिए 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था. लेकिन सरकार अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है. BPCL की प्रस्तावित बिक्री अमल में नहीं आ सकी. भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से भी सरकार को उम्मीद से कम ही राजस्व प्राप्त हुआ. IDBI बैंक की बिक्री भी जून 2023 तक होने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 2023-24 में विनिवेश का लक्ष्य कम रख सकती है. 

 

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