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...जब बजट में हुआ था शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग इनकम टैक्‍स का प्रावधान

एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी. इस बजट से टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी. देश में एक बजट ऐसा भी पेश हुआ था, जब शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब का ऐलान हुआ था.

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अलग-अलग इनकम टैक्‍स स्‍लैब.
अलग-अलग इनकम टैक्‍स स्‍लैब.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को देश का आम बजट संसद में पेश करेंगी. टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को उम्मीद है कि सरकार बजट में उनके लिए कुछ रियायत का ऐलान करेगी. आजादी के बाद से अलग-अलग दलों की सरकारों ने अपने बजट में टैक्स जुड़े कई अहम ऐलान किए. कुछ बजट में टैक्सपेयर्स को रियायत मिली, तो कुछ बजट में हुई घोषणाओं ने टैक्सपेयर्स पर बोझ बढ़ा दिया. इन सब के बीच एक केंद्रीय बजट (Union Budget) ऐसा भी रहा है, जिसमें शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग इनकम टैक्स स्लैब की घोषणा हुई थी. 

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शादीशुदा और अविवाहितों के लिए टैक्स स्लैब

बात 1955-56 के केंद्रीय बजट की है. तब देश के तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री सीडी देशमुख थे. उन्होंने बजट में शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग इनकम टैक्‍स स्‍लैब किया था. सरकार फैमिली स्कीम को शुरू करने के लिए टैक्स स्लैब का ये प्रावधान लेकर आई थी. वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने शादीशुदा लोगों से लिए 1500 रुपये के मौजूदा टैक्‍स एक्‍जेम्‍प्‍ट स्‍लैब बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया था, जबकि अविवाहितों के लिए इसे घटाकर 1000 रुपये कर दिया गया था. 

बजट स्‍कीम का हिंदी वर्जन

शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब योजना आयोग की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था. इसके साथ ही बजट में इनकम टैक्स पर अधिकतम दरों को पांच आना से घटाकर चार आना किया गया था. 1955-56 के बजट में पहली बार बजट स्‍कीम का हिंदी वर्जन भी लाया गया था. इसके बाद से ही एनुअल फाइनेंशियल स्‍टेटमेंट का हिंदी वर्जन और एक्‍सप्‍लेनेटरी मेमोरेंडम सर्कुलेट किया जाता है. 

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1955-56 में टैक्स स्लैब

अगर 1955-56 के टैक्स स्लैब की बात करें, तो 0 से 1,000 रुपये की सालाना इनकम पर टैक्स की देनदारी नहीं बनती थी. 1,001 रुपये से 5,000 रुपये की आमदनी पर रुपये में नौ पाई की टैक्स की देनदारी बनती थी. 5,001 रुपये से 7,500 रुपये की कमाई पर रुपये में एक आना और नौ पाई टैक्स का भुगतान करना पड़ता था.

7,501 रुपये से 10,000 रुपये की कमई पर रुपये में दो आना और तीन पाई टैक्स के रूप में देनदारी थी. 10,001 रुपये से 15,000 रुपये की आमदनी पर इनकम टैक्‍स की देनदारी रुपये में तीन आने और नौ पाई थी. 15,001 रुपये और उससे ज्‍यादा की इनकम पर रुपये में चार आने टैक्स के रूप में देने पड़ते थे.

 इस बार के बजट से उम्मीदें

बजट 2023-24 से भी टैक्सपेयर्स को को काफी उम्मीदें हैं. आयकर विभाग के अनुसार 2022 में दाखिल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) का लगभग 50 प्रतिशत सैलरीड क्लास ने भरा था. इसलिए ऐसे टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार बजट 2023 में उनके लिए कुछ खास ऐलान करेगी. हाल ही में वित्त मंत्री ने कहा था कि वो मिडिल क्लास के ऊपर पड़ रहे दबाव को समझती हैं. सरकार उनके हित में कदम उठाएगी.

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टैक्सपेयर्स नए टैक्स सिस्टम के तहत 2.5 लाख की इनकम छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये होने की उम्मीद कर रहे हैं.  2.5 से पांच लाख तक की सैलरी पर पांच फीसदी और पांच से 7.5 लाख पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. 

 

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