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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को देश का आम बजट पेश किया. कोरोना संकट काल में आए इस बजट में देश को काफी उम्मीदें थीं. सरकार की ओर से कई योजनाओं का ऐलान भी किया गया है, लेकिन इसी दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजकोषीय घाटे की स्थिति भी सार्वजनिक की. जो बताती है कि मौजूदा वक्त में सरकार के खजाने की स्थिति ठीक नहीं है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या दी जानकारी?
बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानाकरी दी कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 9.5 फीसदी तक रहा है, जो जीडीपी का हिस्सा है. कोरोना संकट काल के कारण इस बार सरकारी खजाने की ये स्थिति बनी है, जिससे अब उबरने की कोशिश की जा रही है.
निर्मला सीतारमण की ओर से बताया गया कि अगले वित्तीय वर्ष तक सरकार की कोशिश इस राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8 फीसदी तक लाने की कोशिश रहेगी. वहीं, 2025-2026 तक इसको 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है.
कैसे पूरा होगा मौजूदा राजकोषीय घाटा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जानकारी दी है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में जो 9.5 फीसदी का राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड हुआ है, उसकी भरपाई कई तरह के उधार, फंड से पूरी जाएगी. अभी इस घाटे को पूरा करने के लिए 80 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है, जो कि अगले दो महीनों में पूरा किया जाएगा.
साल 2021-22 में सरकार का कुल खर्च 34.83 लाख करोड़ रुपये रहेगा, जिसमें 5.54 लाख करोड़ रुपये का कैपिटल खर्च भी होगा. सरकार को अगले साल बाजार से करीब 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेना होगा. सरकार का फोकस है कि टैक्स की कमाई और अन्य रास्तों से 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 फीसदी तक लाया जाए.
क्या होता है राजकोषीय घाटा?
सरकार हर साल बजट में अपनी वित्तीय स्थिति को देश के सामने रखती है, जिससे सरकारी खजाने की हालत मालूम पड़ती है. राजकोषीय घाटा इनमें सबसे अहम होता है, जो कि सरकार के मौजूदा खर्च और उधार से अलग का अंतर होता है. यानी राजकोषीय घाटा ही ये बताता है कि सरकार को अपना खर्च पूरा करने के लिए कितना पैसा चाहिए, सरकार बताती है कि इस पैसे की जरूरत कहां से पूरी की जाएगी.