26 फरवरी को रेल बजट पेश होने वाला है. भारतीय रेल कितना सुरक्षित है महिलाओं के लिए. यही जानने की कोशिश की है.
दिल्ली से भोपाल ट्रेन में महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया आज तक संवाददाता रितुल जोशी ने. रितुल ने इस दौरान ये जानने की कोशिश की क्या रात में महिलाओं के लिए भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के कुछ खास इंतजाम कर रखे हैं कि नहीं.
शान ए भोपाल, हर रात देश की राजधानी दिल्ली को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से जोड़ने की सबसे अहम कड़ी. आधी रात होने को थी और ट्रेन अपने पहले पड़ाव आगरा पहुंची.
आज तक टीम ने रुख किया रेलगाड़ी के जनरल डिब्बे का. यत्र नारियस्तू पुजयन्ते का दम भरने वाले इस देश की रेल के जनरल डिब्बे में तो मामला महिला को पुरुष के पैर की जूती समझने जैसा था, बल्कि ये कहें कि इन जूतियों की किस्मत कहीं ज़्यादा अच्छी थी.
भोपाल एक्सप्रेस में जनरल बोगी की हालत बता रही थी कि यहां आरपीएफ के जवान तो दूर, शायद टिकट चेकर भी बामुश्किल आता हो. वैसे रेलवे के कायदे कानून के मुताबिक, ट्रेन में आरपीएफ के जवान की तैनाती ज़रूरी है, लेकिन हमें तो किसी जवान की परछाई तक नज़र नहीं आयी.
भारतीय रेल की तस्वीर जो हमें नज़र आयी, उसमें नियम, कायदे, सब ठेंगे पर. महिला डिब्बे में गार्ड की तैनाती ज़रूरी है, यहां गार्ड तो छोड़िए खुदा ना खास्ता कोई हादसा पेश आ जाए, तो महिलाएं चेन तक भी ना पहुंच पाएं.
अगले स्टेशन पर गाड़ी रोकने की गुहार भी ना लगा पाएं. स्लीपर क्लास में नींद का सन्नाटा था तो रेलवे की रखवाली करने वालों का भी. रेलवे के पहरेदार स्लीपर क्लास से लेकर, एसी डिब्बों में भी नदारद थे.
सूरज ने भोपाल एक्सप्रेस पर दस्तक दी तो हमने स्लीपर और एसी डिब्बों में सफर कर रही महिलाओं से सवाल किया, सवाल सुरक्षा का, सवाल कि अगर उनपर कोई मुसीबत आ जाए तो वो क्या करेंगी, सवाल जो हमारे मन में कौंध रहा था, रेलवे के सुरक्षा गार्डों को लेकर अब ये भी एक विडंबना ही है, भारतीय रेल में जिस सुरक्षा की मांग एक तरफ से सारी महिलाएं कर रही हैं, उसका कानून तो पहले से बना हुआ है लेकिन कानून की माने कौन?