26 फरवरी को रेल बजट पेश होने वाला है. भारतीय रेल कितना सुरक्षित है महिलाओं के लिए. यही जानने की कोशिश की है.
इसी क्रम में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की लाइफ लाइन मुंबई लोकल और इस लाइफ लाइन में रोज़ाना सफर करने वाले 85 लाख लोगों की समस्या जानने की आज तक की संवाददाता विद्या ने कोशिश की. आज तक की महिला रिपोर्टर मुंबई लोकल में महिलाओं की सुरक्षा की पड़ताल के लिए गईं.
विद्या ने सीएसटी स्टेशन से चलने वाली लेडीज़ स्पेशल में सफर किया. इस दौरान विद्या के सामने जो खामियां आईं वो इस प्रकार हैं:
ट्रेन में कहीं हेल्पलाइन नंबर नहीं लिखा था.
सुरक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं था.
कोई सुरक्षाकर्मी ट्रेन में नहीं आता था.
खुदा ना खास्ता कोई वारदात हो जाए तो क्या होगा? ये हाल लेडीज़ स्पेशल के फर्स्ट क्लास डिब्बे का है. जहां महिलाएं अपने आपको बेहद असुरक्षित महसूस करती हैं. समस्याओं की इस रेल का पहला पड़ाव मुंबई के भायखला स्टेशन पर पड़ा. और अगला यहीं से शुरु होता है.
इसके बाद आज तक की टीम ने भायखला से दादर का सफर तय किया. रात के अंधेरे में ये सफर सेकेंड क्लास के महिला डिब्बे में किया गया. आजतक की पड़ताल में यहां जो कुछ निकलकर आया वो ये कि अंधेरा होते ही स्टेशनों पर सन्नाटा छा जाता है. देर रात सिक्योरिटी का कोई नामो निशान नहीं होता.