मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर काफी राहत मिली है. मोदी सरकार ने टिकाऊ विकास और देश की जनता की समृद्धि की बुनियाद रखी है. हम साल 2022 तक नए इंडिया का सपना साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. अर्थव्यवस्था फिर मजबूत पटरी पर आ गई है.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने साल 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते हुए उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा, 'हमने पॉलिसी पैरालिसिस के दौर को पलट दिया है और सरकार की छवि को बेहतर किया. भारत फिर से मजबूत पटरी पर आ गया है. मैं अब भरोसे के साथ कह सकता हूं कि भारत अब मजबूती से पटरी पर है और तरक्की और समृद्धि की ओर बढ़ रहा है.'
महंगाई की कमर तोड़ी
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान औसत महंगाई दर 10 फीसदी तक पहुंच गई थी, लेकिन हमारी सरकार इसे 4 फीसदी तक लेकर आई है. दिसंबर, 2018 में महंगाई घटकर 2.1 फीसदी तक आ गई. भारत अब मैक्रो इकोनॉमिक स्थिरता के बेहतरीन चरण में है. पिछले पांच साल में भारत एक चमकदार देश बन गया है. वित्त वर्ष 2019 के दौरान चालू खाते का घाटा 2.5 फीसदी रहेगा. आज भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था है. वित्तीय घाटा भी 2018-19 के लिए 3.4 फीसदी होने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि महंगाई एक तरह का अनुचित टैक्स जैसा होता है और साल 2009-14 के दौरान 10.1 फीसदी रहा. लेकिन हमने महंगाई की कमर तोड़ दी है. हमने तेज आर्थिक बढ़त के लिए जीएसटी जैसे सभी जरूरी आर्थिक सुधार किए हैं.
कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को वर्ष 2019-20 का अंतरिम बजट पेश किया. यह बजट न सिर्फ देश की जनता के लिए बल्कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए भी काफी मायने रखती है, क्योंकि कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं.
शेयर बाजार
पिछले साल भी एक फरवरी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था. उसके एक दिन पहले 31 जनवरी, 2008 को शेयर बाजार 35,970 के स्तर पर पहुंच गया था और निफ्टी भी चढ़कर 11,020 पर पहुंच गया था. इसके एक साल बाद सेंसेक्स शुक्रवार को सुबह यह 36,311.74 पर खुला.
रुपया
पिछले एक साल के दौरान रुपये की हालत काफी खस्ता रही. वैश्विक कारणों और कच्चे तेल की वजह से देश में चालू खाते के घाटे की वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर रहा. 31 जनवरी, 2018 को डॉलर के मुकाबले रुपया 63.66 पर था और एक साल के बाद यह 71.06 के स्तर पर पहुंच गया है.
महंगाई
खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में गिरावट की वजह से महंगाई लगातार कम रही है. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सालाना महंगाई दर दिसंबर 2018 में 3.80 तक पहुंच गई. इसके एक साल पहले महंगाई दर 3.58 फीसदी थी. दूसरी तरफ, खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई भी दिसंबर 2018 में 2.18 फीसदी रही, जबकि दिसंबर 2017 में यह 5.21 फीसदी थी.