नरेंद्र मोदी सरकार के रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने अपना रेल बजट पेश करने के दौरान भारतीय रेलवे की कड़वी सच्चाई भी सबके सामने रख दी. उन्होंने बजट पेश करने के दौरान साफ कहा कि मेरे पूर्ववर्तियों को पता था कि रेलवे की हालत हर दिन खराब होती जा रही है. मगर वे सदन में बजने वाली तालियों की फिक्र में भुलावा देते रहे. गौड़ा का कहना है कि पहले के रेल मंत्री प्रोजेक्ट पर प्रोजेक्ट का ऐलान करते रहे, बिना इस बात की परवाह किए कि उन्हें पूरा भी किया जा रहा है या नहीं. आज के बजट भाषण से पता चलीं भारतीय रेल की चार कड़वी हकीकत.
1. भारतीय रेलवे अगर 1 रुपये कमाता है, तो उसमें से 94 पैसे तो ट्रेनों के संचालन और तनख्वाह बांटने में ही खर्च हो जाते हैं. बचते हैं सिर्फ 6 पैसे. इन्हीं से जरूरी लाभांश आदि चुकाने के बाद नए ट्रैक के निर्माण, नए सुरक्षा उपाय, यात्री सुविधाओं में इजाफा जैसे कई काम करने होते हैं. यह कोष कितना खस्ताहाल है, उसे इस आंकड़े से समझिए. साल 2007-08 में जरूरी लाभांश और लीज चुकाने के बाद रेलवे की कमाई थी 11,754 करोड़ रुपये. मगर मौजूदा साल में यह कमाई घटकर 602 करोड़ रुपये ही रह गई है.
2. पिछली सरकार ने प्रोजेक्ट को पूरा करने के बजाय बस उनके ऐलान पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया. पिछले तीस साल में 676 प्रोजेक्ट्स का ऐलान हुआ. इनकी अनुमानित लागत थी 1,57,883 करोड़ रुपये. मगर इन प्रोजेक्ट्स में केवल 317 ही पूरे हुए. बाकी 359 प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं. इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए रेलवे को 1,82,000 करोड़ रुपये की दरकार है.
3. पिछले दस साल में यूपीए सरकार ने 99 नई रेलवे लाइनों का ऐलान किया. इसके लिए 60 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. मगर हकीकत यह है कि इनमें से सिर्फ एक ही प्रोजेक्ट अभी तक पूरा हो पाया है. गौड़ा ने बताया कि चार प्रोजेक्ट तो ऐसे हैं, जो 30 साल से चल रहे हैं और अभी तक मुकम्मल नहीं हुए. उन्होंने कहा कि हम जितने ज्यादा प्रोजेक्ट्स का ऐलान करते हैं, अपने संसाधनों पर उतना ही बोझ बढ़ा देते हैं. बेहतर होगा कि प्रोजेक्ट्स को एक नियत समय पर पूरा कर लिया जाए और तभी नए का ऐलान किया जाए.
4. पिछले 10 साल में भारतीय रेलवे ने 3,738 किलोमीटर की नई रेल लाइन बिछाई. इसके लिए 41 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया. लेकिन जो पहले से ही लगातार चल रही लाइन हैं. उन्हें डबल करने में संसाधनों की कमी की गई. महज 5,050 किलोमीटर लाइन को डबल किया गया और इस पर 18,400 करोड़ रुपये खर्च किए गए. ऐसा तब है जब सरकार बार बार मौजूदा ट्रैक्स को बेहतर करने, डबल करने, इलेक्ट्रिक करने की बात कर रही थी.