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क्या है अंतरिम बजट, जानें क्यों इसमें बंधे रहते हैं सरकार के हाथ

संविधान के मुताबिक केन्द्र सरकार पूरे एक साल के अलावा आंशिक समय के लिए भी यह लेखा-जोखा संसद में पेश कर सकती है. यदि सरकार अपने राजस्व और खर्च का यह लेखा-जोखा कुछ माह के लिए पेश करे तो उसे अंतरिम बजट अथवा वोट ऑन अकाउंट की संज्ञा दी जाती है. अंतरिम बजट को लेखाअनुदान मांग और मिनी बजट भी कहते हैं.

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अंतरिम बजट 2019 (फाइल फोटो)
अंतरिम बजट 2019 (फाइल फोटो)

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केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार अपना पांच बजट पेश करने के बाद अब अंतरिम बजट पेश करने जा रही है. संविधान में किए प्रावधानों के मुताबिक केन्द्र सरकार प्रति वर्ष अपने कार्यकाल का वार्षिक लेखा-जोखा संसद में पेश करती है. इस लेखा-जोखा में जहां एक तरफ वह अपनी वार्षिक आमदनी बताती है वहीं दूसरी तरफ वह अपने एक साल के खर्च का पूरा उल्लेख करती है. इस पूरे लेखा-जोखा को आम बजट या पूर्ण बजट कहा जाता है. ऐसे में अंतरिम बजट क्या है इसके लिए संविधान का सहारा लेने की जरूरत है और आखिर कब और क्यों केन्द्र सरकार अंतरिम बजट पेश करती है?

संविधान के मुताबिक केन्द्र सरकार पूरे एक साल के अलावा आंशिक समय के लिए भी यह लेखा-जोखा संसद में पेश कर सकती है. यदि सरकार अपने राजस्व और खर्च का यह लेखा-जोखा कुछ माह के लिए पेश करे तो उसे अंतरिम बजट अथवा वोट ऑन अकाउंट की संज्ञा दी जाती है. अंतरिम बजट को लेखाअनुदान मांग और मिनी बजट भी कहते हैं.

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खासबात है कि जहां पूर्ण बजट में केन्द्र सरकार पूरे एक साल के राजस्व की स्थिति के साथ खर्च की ब्यौरा देती वहीं इस पूर्ण बजट के लिए संसद से अनुदान तिमाही अथवा छमाही आधार पर ही लेती है और इसके लिए पूर्ण बजट के बाद भी वह वोट ऑन अकाउंट का इस्तेमाल करती है.

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वोट ऑन अकाउंट आम तौर पर केन्द्र सरकार चुनावी वर्ष में करती है. संसदीय प्रणाली के मुताबिक संसद में बजट 1 फरवरी को पेश करना होता है. यह बजट सरकार आने वाले वित्त वर्ष के लिए देती है. लेकिन चुनावी वर्ष में यह महत्वपूर्ण हो जाता है सत्तासीन सरकार अपने खर्च और राजस्व का ब्यौरा सिर्फ चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सीमित रखे. जिससे नई सरकार गठन होने के बाद वित्त वर्ष के बचे हुए समय के लिए वह अपना आम बजट लेकर आ सके.

केन्द्र में मौजूदा सरकार का कार्यकाल मई मध्य के बाद खत्म हो जाएगा और देश में चुनावी प्रक्रिया फरवरी मध्य के बाद किसी समय शुरू की जा सकती है. वहीं मई में नई सरकार के गठन के बाद जून-जुलाई में पहले संसद सत्र के दौरान नई सरकार चालू वित्त वर्ष की आम बजट पेश करेगी.

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गौरतलब है कि संसदीय परंपरा के मुताबिक चुनाव में जा रही सत्तासीन सरकार इस अंतरिम बजट में किसी बड़े खर्च का प्रावधान नहीं करती है. ऐसा इसलिए जिससे देश में गठित होने वाली नई सरकार अपने राजस्व और खर्च को निर्धारित करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र रहे.

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