अप्रैल-मई में सब्सिडी के रूप में बांटी गई धनराशि 2019-20 के बजट अनुमान का 39 फीसदी पहुंच गया, जो 2,96,684 करोड़ रुपये है. इसके पहले के वित्त वर्ष में समान अवधि में यह 34 प्रतिशत थी.
मई 2019 तक कुल सब्सिडी 1,15,059.00 करोड़ रुपये थी और बजट अनुमान 2,96,684 करोड़ रुपये था, जबकि इसके पहले के वर्ष की समान अवधि में कुल सब्सिडी राशि 88,689.12 करोड़ रुपये थी.
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़े के अनुसार, खाद्य सब्सिडी मई 2019 तक 77,388.07 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, जो बजट अनुमान का 42 प्रतिशत है. जबकि साल भर पहले की समान अवधि में यह राशि 73,636.24 करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 43 प्रतिशत थी.
यूरिया सब्सिडी अप्रैल-मई 2019 में 15,708 करोड़ रुपये थी, जो बजट अनुमान 50,154 करोड़ रुपये का 31 प्रतिशत थी, जबकि इसके पहले के वर्ष की समान अवधि में यह 4,565.17 करोड़ रुपये थी, जो बजट अनुमान का 10 प्रतिशत है.
पोषक आधारित उर्वरक सब्सिडी अप्रैल-मई 2019 में 7,740.48 करोड़ रुपये पहुंच गई, जो बजट अनुमान 24,832 करोड़ रुपये का 31 प्रतिशत बैठती है. जबकि इसके पहले के साल में यह 6,052 करोड़ रुपये थी, जो बजट अनुमान का 24 प्रतिशत बैठती है.
अप्रैल-मई 2019 की पेट्रोलियम सब्सिडी 14,222 करोड़ रुपये पहुंच गई, जो बजट अनुमान 37,478.00 करोड़ रुपये का 38 प्रतिशत है. जबकि इसके पहले के साल में समान अवधि में यह 4,435.62 करोड़ रुपये थी, जो बजट अनुमान का 18 प्रतिशत है.
खाद्य सब्सिडी का बिल 2014 के बजट से लगातार बढ़ रहा है. 2014 में खाद्य सब्सिडी जहां 1.15 लाख करोड़ रुपये थी, वहीं 2018 में यह बढ़कर 1.69 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो लगभग 47 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है.
सरकार ने 2014 और 2018 के बीच उर्वरक सब्सिडी का अपना आवंटन लगभग दोगुना कर दिया है. 2014 में सब्सिडी आवंटन जहां 36,970 करोड़ रुपये था, वहीं 2018 के बजट में यह 70,090 करोड़ रुपये था.