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बिन पेट्रोल दौड़ेगी कार, बजट में ई-वाहनों का खत्म होगा इंतजार!

इलेक्ट्रिक कारें ऑटो इंडस्ट्री का भविष्य बनने को तैयार हैं. इस बजट के बाद किस किसका बेहतरीन टाइम आएगा ये जानने में भले ही थोड़ा वक्त लगे. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों का टाइम लाने की नींव ये बजट रखने को तैयार है.

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ऑटो सेक्टर को बजट में राहत की उम्मीद
ऑटो सेक्टर को बजट में राहत की उम्मीद

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ऑटो सेक्टर को इस बजट से खासी उम्मीदें हैं. खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के अच्छे दिन आने वाले हैं. उम्मीद है कि खस्ताहाल ऑटो सेक्टर का भविष्य बनने के लिए तैयार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकार बजट में बड़े ऐलान कर सकती है.

दरअसल इलेक्ट्रिक कारें ऑटो इंडस्ट्री का भविष्य बनने को तैयार हैं. इस बजट के बाद किस किसका बेहतरीन टाइम आएगा ये जानने में भले ही थोड़ा वक्त लगे. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों का टाइम लाने की नींव ये बजट रखने को तैयार है. भविष्य की इन कारों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग भी कई रियायतों की मांग कर रहा है.

इस सेक्टर की महत्वपूर्ण डिमांड्स में शुमार है, सरकारी बैंकों से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए कर्ज मुहैया कराना और इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए सरकारी सब्सिडी में इजाफा. इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का मानना है कि इन कदमों से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

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इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का मानना है कि ग्राहकों को सब्सिडी देने के साथ ही कॉरपोरेट्स को इकट्ठे ई-वाहन खरीदने पर रियायतें मिलनी चाहिए. इसके लिए ग्रीन सेस लगाकर भी सरकार पैसा जुटा सकती है.

इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की दलील है कि सरकार की फ्लैगशिप मैन्युफैक्चरिंग योजना मेक इन इंडिया को इससे बढ़ावा मिलेगा. साथ ही प्रदूषण की समस्या को काबू करने में सरकार की मदद इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग कर सकता है.  

नीति आयोग ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर रणनीति भी तैयार की है. इसके हिसाब से 150 सीसी से कम क्षमता वाले टू-व्हीलर्स की जगह 2025 तक इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स आ जाएंगे. इसी तरह 2025 तक ही थ्री व्हीलर्स भी इलेक्ट्रिक ही होंगे.

हालांकि हीरो मोटोकॉर्प समेत दिग्गज टू-व्हीलर कंपनियों ने 100 फीसदी ई-टू व्हीलर लाने की योजना का विरोध किया है. इस मुश्किल से सरकार कैसे निपटती है ये देखना भी दिलचस्प होगा. इसके साथ ही ई-वाहनों के सामने एक बड़ी समस्या इंफ्रास्ट्रक्चर की है. वाहनों की धीमी गति भी इन्हें ग्राहकों से दूर करती है. साथ ही इनकी महंगी कीमत को सुनकर भी ग्राहक अपना इरादा बदल लेते हैं.

यही कारण है कि भारत में बिकने वाले कुल वाहनों में से इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी महज 1 फीसदी से भी कम है. ऐसे में ऑटो इंडस्ट्री के इस सुनहरे भविष्य को संवारने के लिए इस बार बजट में काफी बड़े ऐलान देखने को मिल सकते हैं. (बजट 2019 की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्ल‍िक करें.)

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