वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार का पांचवां बजट पेश करने जा रहे हैं. अगले साल ही आम चुनाव हैं, इसलिए इस बार वित्त मंत्री के सामने काफी कठिन चुनौती है कि बजट को लोकलुभावन रखें या राजकोष की मजबूती पर ध्यान दें. वास्तविकता यह है कि यह बजट वित्त मंत्री के लिए अब तक के सबसे कठिन बजट में से है.
यह बजट जीएसटी के बाद पेश होने वाला पहला बजट है, इसलिए देश ही नहीं, दुनिया के कई देशों के नीति-नियंताओं और निवेशकों की नजर एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आज पेश होने वाले बजट पर है. इस साल आठ राज्यों में चुनाव हैं, जिनमें बीजेपी शासित तीन बड़े राज्य हैं. अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. जेटली को कई चुनौतियों से निपटना है. किसानों की हालत खराब है, नौकरियां बढ़ानी हैं, अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ानी है और इन सबके साथ ही राजकोषीय घाटे पर भी अंकुश रखना है.
वित्त मंत्री के सामने ये हैं 10 प्रमुख चुनौतियां
1. बजट 2018 में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नई योजनाएं शुरू हो सकती हैं और मनरेगा जैसी मौजूदा योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में मकान बनाने, सिंचाई परियोजनाएं चलाने और फसल बीमा के लिए भी फंडिंग बढ़ानी होंगी.
2. गुजरात में हाल में हुए चुनाव से यह संकेत मिलते हैं कि बीजेपी का ग्रामीण मतदाता आधार कमजोर हो रहा है, ऐसे में जेटली खासकर कृषि क्षेत्र के लिए कुछ नए प्रोत्साहन देने की कोशिश करना चाहेंगे.
3. छोटे कारोबारी बीजेपी के मुख्य समर्थक वर्ग में आते हैं, ऐसे में वित्त मंत्री के सामने यह चुनौती है कि हड़बड़ी में जीएसटी लागू होने से इनको हुई परेशानी के बाद अब कुछ राहत दी जाए.
4. मिडल क्लास अपने बढ़ते खर्चों से काफी परेशान है, ऐसे में उसकी उम्मीद है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री इनकम टैक्स के लिए योग्य आय की सीमा बढ़ाकर उसे कुछ राहत देंगे.
5. जेटली के सामने एक चुनौती यह भी है कि हाईवे जैसे बुनियादी ढांचा कार्यक्रमों और रेलवे के आधुनिकीकरण पर खर्च कैसे बढ़ाया जाए ताकि आर्थिक तरक्की को रफ्तार मिल सके.
6. पीएम मोदी ने हाल में यह संकेत दिया था कि हो सकता है कि बजट लोकलुभावन न हो. उन्होंने कहा था कि यह एक मिथक ही है कि आम आदमी सरकार से मुफ्त सौगात चाहता है. ऐसे में वित्त मंत्री की चुनौती बढ़ गई है.
7. ऐसी चर्चा है कि शेयरों में निवेश से होने वाले कैपिटल गेन्स पर मिल रही टैक्स की छूट खत्म हो सकती है. इसके अलावा जेटली ने साल 2015 में वादा किया था कि अगले चार साल में कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 30 से 25 फीसदी किया जाएगा. इस पर भी उन्हें खरा उतरना है.
8. निर्यात के कुछ क्षेत्रों को प्रोत्साहन की जरूरत है. इसके अलावा देश में रोजगार घटने की चिंता है, इसे देखते हुए उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप के लिए नई सुविधाएं, प्रोत्साहन देना होगा.
9. राजकोषीय घाटे को काबू करने के मामले में मिश्रित संकेत मिल रहे हैं. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि अब राजकोषीय मजबूती के कार्यक्रमों कुछ समय के लिए रोक लगाई जा सकती है, जबकि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि सरकार इस लक्ष्य का पालन करेगी.
10. उत्पाद शुल्क और सेवा कर को जीएसटी में समाहित कर लिया गया है, इसलिए इस बजट में इसके हिसाब से वर्गीकरण में कुछ बदलाव करने की चुनौती थी.