नरेन्द्र मोदी सरकार का पहला रेल बजट पेश हो गया. तमाम लुभावनी बातों और वादों के साथ इस बजट में जनता को टिकटों के दाम में बढ़ोतरी से बख्श दिया गया क्योंकि वह पहले ही बढ़ चुके थे. इस बजट में बुलेट ट्रेन चलाने का पीएम मोदी का प्रिय सपना भी है. इसके अलावा रेलों की स्पीड बढ़ाने की योजनाएं भी हैं. नौ रूटों पर तेज रफ्तार ट्रेनों के चलने से यात्रियों को बहुत आसानी होगी. इसके अलावा भी रेल चतुष्कोण में भी तेज रफ्तार ट्रेनें चलाने की भी बात कही गई है.
वित्तीय संकट से जूझते रेलवे के लिए इसका कार्यान्वयन बहुत कठिन होगा क्योंकि रेल मंत्री ने खुद ही माना है कि रेल विस्तार और बेहतरी की सैकड़ों परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं. कुछ परियोजनाएं तो 4 से 30 वर्ष से भी लंबे समय से लटकी पड़ी हैं. जाहिर है कि इन्हें पूरा करने के लिए रेलवे को लाखों करोड़ रुपए चाहिए जो उसके पास नहीं है. रेलवे इन्हें कैसे पूरा करेगी यह शायद अगले बजट में ही पता चलेगा. लेकिन एक अच्छी बात है कि रेल मंत्री ने रेलों में निजी निवेश का रास्ता खोल दिया है और एफडीआई को भी हरी झंडी दिखा दी है. इससे धन जुटाना आसान होगा क्योंकि रेल टिकटों को बेचकर नई योजनाओं को पूरा नहीं किया जा सकता है.
यह भी गहरे संतोष की बात है कि रेलवे ने इस दिशा में गंभीरता से सोचना शुरू किया है. दो करोड़ 30 लाख लोगों को हर दिन उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाली भारतीय रेल को सहारे की सख्त जरूरत है. रेलवे अपने परिचालन से महज 6 पैसे प्रति रुपए ही बचा पाती है जिससे उसकी भावी योजनाओं को पूरा नहीं किया जा सकता है. इसे किसी वाणिज्यिक संगठन की तरह चलाने की आवश्यकता है और इस बातों को रेल मंत्री ने माना है. इसके बगैर देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले इस संगठन को अपने पैरों पर खड़ा हो पाना मुश्किल होगा. रेलवे को गतिमान रखने के लिए यह जरूरी है कि उसमें नया रक्त भरा जाए जो सिर्फ बड़े पैमाने के निवेश से ही संभव होगा.
समस्या यह है कि रेलों से हर वर्ग के लोग यात्रा करने वालों में गरीबों की तादाद बहुत ज्यादा है जो टिकटों की कीमतों में बढ़ोतरी को झेल नहीं सकते. इसलिए विदेशी धन लाने और रेलवे में निवेश की ओर रेल मंत्री को और सोचना है. जहां तक बुलेट ट्रेन की बात है तो उसके लिए पीएम मोदी स्वयं पहल कर रहे हैं. रेल मंत्री ने रेलवे की दो महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान देकर बढ़िया काम किया है. रेलवे की सबसे बड़ी समस्या है सुरक्षा की और उसके बाद सफाई की. इन दोनों के बारे में उन्होंने कई कदमों की घोषणा की है.
रेलों और यात्रियों की सुरक्षा बहुत मह्तवपूर्ण है और इसके लिए उन्होंने ठोस कदमों की घोषणा की है. दूसरी ओर सफाई के लिए प्रोफेशनल एजेंसियों की सेवाएं लेने की बात भी अच्छी है. यात्रियों के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि ज्यादातर ट्रेनों में सफाई की बड़ी समस्या रहती है. ट्रेनों और स्टेशनों की साफ-सफाई को बढ़ाना जरूरी है और इसके लिए रेलवे के पास तंत्र नहीं है. अब प्रोफेशनल एजेंसियों के काम करने से यह समस्या काफी हद तक सुलझेगी. लेकिन लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.
रेलों में खान-पान व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी रेल मंत्री ने प्राइवेट कंपनियों का सहारा लेने की बात कही है. उनका यह प्रस्ताव कि जाने-माने रेस्तरां चेन को इसके लिए जोड़ा जाएगा. अभी रेलों के खान-पान से यात्री संतुष्ट नहीं हैं और वे उसमें बेहतरी चाहते हैं. इससे रेल की शान भी बढे़गी और लोगों को भी सुविधा होगी. नई ट्रेनें चलाने के अपने प्रलोभन को रेल मंत्री रोक नहीं पाए और उन्होंने 58 नई ट्रेनों की घोषणा भी कर दी है. इसमें पांच प्रीमियम ट्रेनें हैं जिनसे रेलवे को धन मिल सकेगा. लेकिन बेहतर होता कि वह इतनी सारी नई ट्रेनों की बजाय अपना ध्यान पुरानी ट्रेनों के परिचालन पर रखते क्योंकि आज भी सैकड़ों गाडियां लेट से चलती हैं. बहरहाल इतना ही कहा जा सकता है कि मंजिल अभी दूर है और रास्ता जटिल है.