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व्यंग्य: इस बजट को यूं समझिए..

अरुण जेटली आम बजट लाए. सच कहूं तो इस बजट से मुझे बड़ी उम्मीदें थीं और उम्मीद ये कि कम से कम इस बार तो समझ आएगा. कमाल देखिए, बजट से हम जैसे लोग भी उम्मीदें रख लेते हैं, जिन्हें ये तक नहीं पता कि बजट की स्पेलिंग में J आता है या Z.

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अरुण जेटली आम बजट लाए. सच कहूं तो इस बजट से मुझे बड़ी उम्मीदें थीं और उम्मीद ये कि कम से कम इस बार तो समझ आएगा. कमाल देखिए, बजट से हम जैसे लोग भी उम्मीदें रख लेते हैं, जिन्हें ये तक नहीं पता कि बजट की स्पेलिंग में J आता है या Z. बजट आते ही कुछ लोगों ने उसे निराशाजनक ठहरा दिया. आश्चर्य नहीं कि ये भी हमारी तरह के लोग हैं. उन्हें भी बजट समझ नहीं आया होगा.

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बजट कैसा है ये समझना चाहा तो कांग्रेस के दो नेताओं के बयान सामने आए. पहले वाले कह रहे थे, बजट में कुछ नही है, वहीं दूसरे कह रहे थे सिर्फ कांग्रेस की नीतियों को दोहराया गया है. आम बजट की खासियत होती है कि वो आम लोगों के लिए नहीं होता, इसे हम सिर्फ सस्ते-महंगे की नजर से समझ सकते हैं. इसके पहले बजट में कुछ नया हुआ है, ये तब तक यकीन नहीं होता जब तक बजट में गांधी-नेहरु परिवार के नाम दो-चार नई योजनाएं शुरू न हो जाएं. इस बार ऐसा न होकर ‘अटल नवोन्मेष योजना’, ‘अटल पेंशन योजना’ जैसे नाम सुनाई दे रहे हैं. अच्छा है, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को एक नंबर का नया सवाल मिल गया.

युवाओं के लिए बजट में और भी कुछ था. बजट में मेकअप की चीजें सस्ती हुईं हैं, जो लडकियां अब तक सिंगल रही हों अब कन्फ्यूज होने की तैयारी कर सकती हैं. बजट कई मामलों में विरोधाभाषी भी रहा. एक तरफ एलसीडी और एलईडी टेलीविजन सस्ते हुए तो दूसरी ओर अगरबत्तियां. शायद अरुण जेटली चाहते हैं कि आप टीवी पर भजन सुनकर अगरबत्ती जला लें. ये भजन भूखे पेट होगा क्योंकि खाने-पीने की चीजें महंगी की गई हैं. अरुण जेटली ने बजट भाषण के दौरान साफ-सफाई को आंदोलन का रूप देने की बात कही. उनका ध्यान शायद जेब पर केंद्रि‍त रहा हो, क्योंकि घर, सर्विस टैक्स, मोबाइल, लैपटॉप सब महंगे होने पर असर वहीं होना है.

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मोदी सरकार ने बजट में राजनीति से प्रेरित कुछ निर्णय लिए हैं. जूते सस्ते कर दिए हैं. आगे कुछ लिखने की जरुरत नहीं है. इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. लेकिन टैक्स चुराने पर दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है. कुछ नेता इसे व्यक्तिगत हमला समझ रहे हैं. बिहार और पश्चिम बंगाल को विशेष मदद का प्रावधान कर मोदी ने और कुछ नहीं ममता और नीतीश को चिढ़ाने की कोशिश की है. पूरे बजट में बस एक ही कमी रह गई, हाल ही प्रधानमंत्री, मुलायम सिंह यादव के पोते के तिलक में गए थे. इसके बाद अप्रत्याशित रूप से उन्होंने रेल बजट को संतोषजनक बताया था. लगे हाथ अगर वित्त मंत्री उत्तरप्रदेश को भी विशेष मदद का वादा कर देते तो मुलायम सिंह जोश-जोश में भरी संसद में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा लगा डालते.

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