इन्वेस्टमेंट के लिहाज से फीके पड़ते जा रहे सोने में अचानक चमक सी आ गई है. बजट में अरुण जेटली ने गोल्ड डिपॉजिट अकाउंट खोलने का ऐलान किया है. इसका मतलब ये है कि अगर आपके घर में सोना पड़ा है, तो आप उसे बैंक में जमा करा कर उसकी वैल्यू पर ब्याज पा सकते हैं. बिल्कुल वैसे जैसे आप बैंक में पैसा जमाकर ब्याज पाते हैं. इस अकाउंट को नाम दिया गया है गोल्ड मॉनेटाइजेशन एकाउंट.
कहां पर खुलेंगे गोल्ड मॉनेटाइजेशन एकाउंट?
गोल्ड अकाउंट जनरल बैंकों में ही खुलेंगे, जहां पर लॉकर की सुविधा हो. इन खातों में सिर्फ सिक्के, बिस्किट और बार ही जमा कराए जा सकेंगे. गहनों को इस स्कीम में शामिल नहीं किया जा सकता. सिर्फ आम लोग ही नहीं, ज्वैलर्स, बैंक और दूसरी संस्थाएं भी अपने सोने को मॉनेटाइज करके उस पर ब्याज कमा सकेंगी. ज्वेलर्स अपने गोल्ड अकाउंट पर लोन भी ले सकेंगे.
कितना ब्याज मिलेगा? गोल्ड अकाउंट अभी चल रही तमाम गोल्ड डिपॉजिट और गोल्ड लोन जैसी स्कीमों की जगह लेगा. इंडस्ट्री के हिसाब से गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम पर 2 से 3 फीसदी ब्याज दिया जा सकता है. ये ब्याज गोल्ड की वैल्यू के आधार पर होगा.
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम क्या है?
ऐसा नहीं है कि गोल्ड अकाउंट का कॉन्सेप्ट बिल्कुल नया है. काफी समय से ये बात उठती रही है कि घरों में पड़े बेकार सोने को कैसे इकोनॉमी का हिस्सा बनाया जाए. पिछले साल ही पुणे में हुए इंडिया इंटरनेशनल गोल्ड कन्वेंशन में इस कॉन्सेप्ट पर एक पेपर प्रेजेंट किया गया था. रिजर्व बैंक भी समय-समय पर इस तरह की स्कीम की वकालत करता रहा है, जिससे तिजोरी में बंद पड़े सोने के भंडार को बाहर निकाला जा सके और उसे देश की तरक्की में लगाया जा सके. लेकिन बैंकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से ये स्कीम अब तक टलती रही है. इन्फ्रास्ट्रक्चर की चुनौती अब भी रहेगी, क्योंकि सोने की शुद्धता की जांच, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा अभी आम कमर्शियल बैंकों में नहीं है.
क्यों जरूरी है तिजोरी का सोना बाहर निकालना?
एक अनुमान के मुताबिक देश में 20 हजार टन से ज्यादा सोना घरों, मंदिरों की तिजोरियों या बैंक लॉकर्स में यूं ही पड़ा हुआ है. इसके बावजूद भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीदार देश है. हमारे देश में हर साल करीब 1000 टन सोना विदेशों से खरीदा जाता है. इससे खजाने पर काफी बोझ पड़ता है, ठीक वैसे ही जैसे हर साल कच्चा तेल खरीदने पर सरकार को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. घरों में पड़ा सोना बाहर आएगा, तो इंपोर्ट का प्रेशर भी कम होगा और कीमती विदेशी मुद्रा दूसरे जरूरी कामों में खर्च होगी.