प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपनी दूसरी पारी का पहला बजट 5 जुलाई को पेश करेगी. इस बार केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. पूर्ण रूप से वह देश की पहली महिला वित्त मंत्री हैं. पीएम मोदी ने दूसरी बार सत्ता में आते ही अल्पसंख्यकों का विकास के जरिए विश्वास जीतने की बात कही है. इससे देश के अल्पसंख्यकों में नई उम्मीद जागी है और मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट को बड़ी उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं.
अल्पसंख्यक ब्लॉक में मॉडर्न स्कूल खोले जाएं: फारूकी
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी कहते हैं, 'हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार बजट के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाएगी. कई रिपोर्ट्स के जरिए यह बात साबित हो चुकी है कि मुस्लिम समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे है. ऐसे में मोदी सरकार को मुसलमानों की शिक्षा की दिशा में कदम उठाना चाहिए.'
फारूकी कहते हैं कि देश में जो अल्पसंख्यक ब्लॉक हैं वहां पर मॉडर्न स्कूल खोले जाएं. इसके अलावा माइनॉरिटी डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन के जरिए वक्फ प्रॉपर्टी को डेवलप किया जाए और वक्फ के उन संपत्तियों पर शिक्षण संस्थाओं का निर्माण कराया जाए. वह कहते हैं कि अल्पसंख्यकों में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है ऐसे में सरकार को जॉब ओरिएंटेड कोर्सेज की व्यवस्था करनी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही जिस तरह से अल्पसंख्यकों के विकास की बात कही है, ऐसे में अब देखना है कि बजट में उसकी झलक दिखती है या नहीं.
लघु उद्योग के लिए 50 लाख की लिमिट हो: हामिद
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद कहते हैं कि मोदी सरकार ने 5 साल में 5 करोड़ मुस्लिम विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने का ऐलान किया है. ऐसे में देखना होगा कि बजट में छात्रवृत्ति के लिए कितना बजट आवंटित करते हैं. इससे पता चलेगा कि मोदी सरकार का ऐलान कितना सही है. इसके अलावा सरकार ने अल्पसंख्यकों को स्वावलंबी बनाने की बात कही है. इसके लिए माइनॉरिटी डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन के आवंटित बजट देखना होगा. माइनॉरिटी डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन के द्वारा अल्पसंख्यकों के दिए जाने वाले लोन प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए और लघु उद्योग के लिए 50 लाख की लिमिट करनी चाहिए.
हामिद कहते हैं कि मोदी सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण की बात कही है. ऐसे में मदरसों में सीबीएससी के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएं, ऐसे में उसके नियम-कानून भी लागू हो. ऐसे में बजट से बता चलेगा कि सरकार मदरसों का किस तरह से आधुनिक बनाना चाहती है.
बिजनेस सेक्टर में मुसलमानों को मिले प्राथमिकता: जमील
येनपोया विश्वविद्यालय के चेयर इन इस्लामिक स्टडीज एंड ऑन रिसर्च विभाग के हेड डॉ. जावेद जमील कहते हैं कि मौजूदा सरकार के दो बड़े एजेंडे हैं, जिनमें एक कॉरपोरेट और दूसरा कम्यूनल एजेंडा है. ऐसे में सरकार का बजट कॉरपोरेट के हित पर आधारित रहने की संभावना है. मुसलमानों के ताल्लुक से सरकार बहुत ज्यादा कुछ करने वाली नहीं है. हालांकि वो मदरसों के मॉडर्नाइजेशन को लेकर बातें कर रही है, लेकिन सरकार किस तरह से करना चाहती है यह बात साफ करनी चाहिए. मोदी सरकार मदरसों का ढांचागत मॉडर्नाइजेशन करती है तो किसी कोई अपत्ति नहीं है, लेकिन आइडियोलॉजी स्तर पर मॉडर्नाइजेशन करना चाहती तो मुसलमानों को स्वीकार नहीं होगा.
केंद्र सरकार का वेलफेयर मंत्रालय है, जिसके जरिए एनजोओ को फंडिंग किए जाते हैं. ऐसे वेलफेयर मंत्रालय के जरिए 15 फीसदी फंड एनजीओ को मुस्लिम समुदाय के लिए काम को दिए जाएं. मुस्लिम समुदाय आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हैं. देश में एक हजार रजिस्टर्ड कंपनिया हैं. उसमें महज 10 से 11 कंपनिया मुसलमानों की हैं. जबकि यह आंकड़ा 150 के करीब है. इससे साफ समझा जा सकता है कि बिजनेस सेक्टर में भी मुसलमानों की हालत बहुत बेहतर नहीं है. इसके लिए सरकार को सोचना चाहिए. अल्पसंख्यक समुदाय को स्वावलंबी बनाने के लिए लघु उद्योग को बढ़ावा दिया जाए. इसके साथ ही आर्थिक सामानता के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए.