वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.O का पहला बजट पेश करते हुए गरीब, किसान, ग्रामीण भारत के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं, लेकिन जानकारों को इस बात पर अचरज है कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किसी तरह का कोई आंकड़ा नहीं दिया है. यही नहीं, आजतक से बातचीत में कई एक्सपर्ट्स ने तो यहां तक कहा कि बजट दस्तावेज में जो आंकड़े दिए गए हैं, वह अंतरिम बजट वाले आंकड़े ही हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा, 'इसमें बजट कहां है, बजट का मतलब यह है कि आप बताएं कि आय कहां से हुई और खर्च कहां होगा. निर्मला जी ने अपने भाषण में एक भी आंकड़े का जिक्र नहीं किया. मैंने डॉक्युमेंट भी देखे, तो पूरे आंकड़े वहीं हैं, जो अंतरिम बजट में दिए गए हैं. इस बजट में आंकड़े तो हैं ही नहीं, फिर चर्चा किस बात की करें. पचास साल में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी वित्त मंत्री ने कोई आंकड़ा नहीं दिया.'
SKA एडवाइजर्स के चेयरमैन सुनील अलघ ने यह माना कि पहला ऐसा बजट है जिसमें कोई आंकड़ा नहीं दिया गया. मिडल इनकम ग्रुप को एक तरह से शून्य मिला है और डीजल-पेट्रोल का दाम बढ़ाने से महंगाई बढ़ जाएगी, सब चीजों के दाम बढ़ जाएंगे. खपत नहीं बढ़ाएंगे, तो डिमांड नहीं बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि सरकार यह तो बता रही है कि पांच साल में क्या करेंगे, लेकिन छह महीने में क्या करेंगे इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया है.'
कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट बेजॉन मिश्रा ने कहा, 'एक दिशा दिखाई है कि विकास करेंगे, गांव किसान, गरीबों को देखना है, लेकिन मिडल क्लास को नहीं देखना है. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास गांवों में पेयजल, एजुकेशन की बात की गई है. आज की बात करें तो पेट्रोल-डीजल का दाम तो बढ़ गया, मकान तो जब हम खरीदेंगे तब हमें राहत मिलेगी.'
आईटी इंडस्ट्री निराश
एचसीएल टेक्नोलॉजी के प्रतीक अग्रवाल ने बजट के बारे में कहा, 'फिस्कल डेफिसिट कंट्रोल में लाया जा रहा है, ब्याज दर कम की जा रही है, इसका फायदा सबसे ज्यादा सरकार को भी होगा, खर्च में कमी आएगी. इसी तरह विनिवेश से लोन कम किया जाता है तो वह भी फायदे की चीज है. लेबर लॉज में सुधार किया जाएगा, एंजेल टैक्स की समस्या को दूर किया जाएगा, लेकिन आईटी इंडस्ट्री की सबसे अहम मांग थी कि एसईजेड बंद करने की सीमा 10 से 20 साल बढ़ाई जाए, आईटी इंडस्ट्री काफी हाई पेड जॉब देती है, मांग और खपत कैसे बढ़ेगी अगर आदमी कमाएगा नहीं, अगर इस इंडस्ट्री को बढ़ावा नहीं मिलेगा तो जॉब कहां से आएगी.'
डेलॉयट की पार्टनर नीरा आहुजा ने कहा, 'सबसे अच्छी बात यह है कि हर वर्ग को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया गया है इन्क्लूजिव बनाने के लिए, लेकिन इनकम टैक्स एक्ट के जरिए जो इन्सेंटिव दिया जा सकता है, वह नहीं हुआ. एसईजेड, रिसर्च का इंसेटिव खत्म हो रहा है.