कृषि कानूनों के खिलाफ देश में किसान आंदोलन जारी है. असंतुष्ट किसानों और केंद्र सरकार के गतिरोध के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को आम बजट पेश करेंगी. ऐसे में माना जा रहा है कि देश में नाराज चल रहे किसानों और कृषि सेक्टर के लिए केंद्र की मोदी सरकार कुछ बड़े ऐलान कर सकती है. वहीं, नए कृषि कानून को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग के अलावा किसान संगठन 'किसान सम्मान निधि' को बढ़ाने और कर्ज माफ करने जैसी कई डिमांड कर रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि आंदोलनकारी किसानों की उम्मीदों पर मोदी सरकार कितनी खरी उतरती है?
मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाए
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि एमएसपी के गारंटी कांनून और तीनों नए कृषि कानून को निरस्त करने की मांग के साथ-साथ किसानों को मिलने वाली 'पीएम किसान सम्मान निधी' राशि को 6 हजार से बढ़ाकर 24 हजार सालाना किया जाए. किसान क्रेडिट के तहत किसानों को मिलने वाले कर्ज पर ब्याज सीधे तौर पर दो फीसदी तय किया जाना चाहिए और साथ ही केसीसी लिमिट को दोगुना किया जाना चाहिए. किसानों से दूध की खरीदारी का रेट, अमूल की दर पर करना चाहिए.
चौधरी पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि खेती को भी मनरेगा से जोड़ना चाहिए. इससे श्रमिकों को काम भी मिल जाएगा और किसानों को खेती के लिए आसानी से मजदूर उपलब्ध हो जाएंगे और लागत भी कम आएगी. 70 साल से किसान तो घाटे का सौदा कर ही रहा है और मौजूदा समय में भी हालात ऐसे ही हैं. ऐसे में सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आगे नहीं आएगी तो फिर कौन आएगा?
तिलहन की खेती को बढ़ावा दे सरकार
भारतीय कृषक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. कृष्णवीर चौधरी ने कहा कि देश में तिलहन की खेती को बढ़ाने की दिशा में सरकार को बजट में कदम उठाना चाहिए, क्योंकि तिहलन की खेती से किसान आर्थिक रूप से मजबूत होगा. इसके अलावा सरकार को क्लस्टर आधारित खेती को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. इससे किसान का बड़ा फायदा होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इसके जरिए वहीं पर उत्पादन और प्रोसेसिंग के बाद मोबाइल वैन के जरिए मार्केंटिंग तक की सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए. सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकल को बढ़ाना चाहिए ताकि पानी के गिरते जल स्तर को बचाया जा सके. सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधी एक बेहतर योजना शुरू की है, जिसकी राशि बढ़ाकर कम से कम 10 हजार करना चाहिए.
किसानों के सभी कर्ज माफ किए जाएं
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन में सबसे बड़ी मार इस देश के किसानों पर पड़ी है. किसानों की सारी फसलें चौपट हो गई हैं, जिसमें फल से लेकर सब्जियां और अनाज तक शामिल हैं. वहीं, अब किसान अपने वजूद को बचाने के लिए सड़क पर है, जिसके लिए सरकार तीन नए कृषि कानून को रद्द करे और एमएसपी गारंटी कानून लाए. देश में फसल का प्रोडक्शन गिरा है और इस साल किसानों का भारी नुकसान हुआ है. उसे देखते हुए किसानों के जितने भी कर्ज फसल और मशीनरी पर लिए गए हों, उन्हें एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया जाना चाहिए और उस पर लगने वाले ब्याज को माफ किया जाना चाहिए. सरकार देश के उद्योगपतियों का 68 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर सकती है तो छोटे किसानों की कर्जमाफी क्यों नहीं करती है. हम नहीं कहते हैं कि बड़े किसानों का कर्ज माफ करें, लेकिन जिनके पास एक से दो एकड़ जमीन है, कम से कम ऐसे किसानों के कर्ज तो माफ किए जा सकते हैं.
लोकल बीज-खाद-दवाई की मांग
किसान यूनियन के महासचिव कहते हैं कि देश को आत्मनिर्भर बनाने से पहले कृषि सेक्टर की आत्मनिर्भरता जरूरी है. लेकिन सरकार सारी मदद कॉरपोरेट की करती है. किसान बिना सरकारी मदद के कैसे आत्मनिर्भर होगा, उसे खाद और बीज पर मोनसेंटो जैसी विदेशी और कॉरपोरेट कंपनी पर निर्भर कर दिया गया है. सरकार जब तक किसान को अपना बीज, अपनी खाद, अपनी दवाई और अपने भोजन के सिद्धांत पर काम नहीं करेगी तब तक आत्मनिर्भरता नहीं आएगी. ऐसे में सरकार को स्थानीय बीज से लेकर खाद तक पर काम करना होगा. साथ ही उन्होंने किसान सम्मान निधि की राशि को साल में 6 हजार से बढ़ाकर 24 हजार रुपये जाने की मांग की है.
भारतीय किसान संगठन के अध्यक्ष पुरन सिंह ने कहा कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी है, जिसे मजबूत रखना सरकार की जिम्मेदारी है. एमएसपी गारंटी तो हमारी मांग है. इसके अलावा सरकार किसान की एक आय सुनिश्चित करे, जो सालाना 6 हजार रुपये से किसानों का भला नहीं होना है. ऐसे में सरकार को यह राशि बढ़ानी चाहिए. इसके अलावा किसानों को देश में एक ही रेट पर बिजली मिलनी चाहिए. मौजूदा समय में अलग-अलग राज्यों में अलग रेट है जबकि आठ राज्यों में किसानों को फ्री बिजली मिल रही है. सरकार एक देश एक टैक्ट के लिए जीएसटी ला सकती है तो किसानों के लिए एक रेट पर बिजली क्यों दे सकती है. किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर अल्पकालीन कृषि कर्ज मुहैया करवाने की स्कीम पर भी सरकार को फोकस करना चाहिए.