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बजट 2021 में गोल्ड एक्सचेंज का आगाज, जानिए इस फैसले से कैसे बदलेगी देश की तकदीर

हमारे देश में तकरीबन 25,000 टन सोना लोगों के पास रखा हुआ है. इसमें से 10-12 हजार टन सोना अमीर लोगों के पास है. यह सोना बैंक के लॉकरों या घर की अलमारियों में पड़ा है. इस सोने का इस्तेमाल देश की अर्थव्यवस्था में नहीं हो पा रहा है. सरकार की कोशिश इस सोना को बाहर निकालने की है.

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बजट में गोल्ड एक्सचेंज का ऐलान किया गया (सांकेतिक-पीटीआई)
बजट में गोल्ड एक्सचेंज का ऐलान किया गया (सांकेतिक-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फैसले से गोल्ड के कारोबार को नया स्वरूप मिलेगा
  • अगले साल भर में इस योजना के शुरू होने की उम्मीद
  • देश में करीब 25,000 टन सोना लोगों के पास रखा हुआ

बजट में आपने राजकोषीय घाटे का जिक्र सुना होगा. सरकारी बैंकों और संपत्तियों के निजीकरण पर विपक्ष के ऐतराज से भी वाकिफ हो गए होंगे, लेकिन आपको सरकार के उस अभूतपूर्व फैसले के बारे में बताने वाले हैं जो आने वाले दिनों में आपकी जिंदगी को प्रभावित करेगा.

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देश में अब गोल्ड एक्सचेंज की शुरुआत होगी. मतलब आप शेयर की तरह सोना खरीद और बेच सकेंगे. आर्थिक जानकार इस फैसले को भविष्य में बड़े बदलाव की दस्तक करार दे रहे हैं. जो देश की तकदीर बदलने की क्षमता रखती है.

रेगुलेटर का काम करेगी सेबी 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में गोल्ड एक्सचेंज बनाने का ऐलान किया, जिसके रेगुलेटर का काम सेबी करेगी. साधारण भाषा में समझें तो जिस तरह से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक की ट्रेडिंग होती है. उसी तरीके से गोल्ड की खरीद-फरोख्त की जा सकेगी. यानी गोल्ड के कारोबार को भी नया स्वरूप मिलेगा.

भारत में आम निवेशक मुनाफा कमाने के लिए या तो स्टॉक मार्केट की तरफ भागते हैं या फिर फिक्स्ड डिपॉज़िट करवाते हैं, लेकिन लोग यहां निवेश तब करते हैं. जब सब कुछ सामान्य होता. जब भी दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता आती है तो ज्यादातर निवेशकों की पहली पसंद होती है सोना. 

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इस बार के बजट में सोना-चांदी की कस्टम ड्यूटी को घटाया गया है. मोदी सरकार ने 12.5% से इसे कम करके 7.5% कर दिया है. वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद सोना 1,200 रुपये से ज्यादा सस्ता हो गया.

भारत में 3 तरह से सोने की मांग
भारत में सोने की मांग 3 तरह से होती है. पहला गहनों के लिए, दूसरा निवेश के लिए और तीसरा केंद्रीय बैंक अपने पास रिजर्व रखने के लिए सोना खरीदते हैं. आम आदमी वर्षों से सोने में निवेश करता रहा है. वो भी तब जब इसमें पारदर्शिता की भारी कमी है, जिसे दूर करने के लिए सरकार गोल्ड एक्सचेंज बनाने जा रही है.

अब सवाल यह है कि ये कैसे काम करेगा? क्योंकि सोना और चांदी में निवेश तो अभी भी किया जा सकता है, इसकी खरीद-फरोख्त तो अब भी होती है फिर गोल्ड एक्सचेंज बनने के बाद क्या कुछ बदल जाएगा ? सोने में निवेश पहले से ज्यादा भरोसेमंद कैसे हो जाएगा ?

ये फैसला गेमचेंजरः सुरेंद्र मेहता 
ये समझने के लिए हमने इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) के सचिव सुरेंद्र मेहता से बात की. जिनकी मानें तो सोने को लेकर सरकार का ये फैसला गेमचेंजर साबित होगा. उन्होंने बताया कि चीन-टर्की में गोल्ड एक्सचेंज है. कोई भी सामान्य आदमी गोल्ड खरीद सकेगा. आपको अपने ब्रोकर के पास जाना होगा. जैसे शेयर की डिलिवरी होती है. इसका सबसे बड़ा फायदा है. उसे ज्वैलर पर भरोसा नहीं रहता. प्राइस और प्योरिटी का भरोसा नहीं रहता है. कहीं गलत व्यवहार न हो जाए. फेक बिल भी आ जाते हैं. प्योरिटी की गारंटी लेता है. बिना बिल के माल नहीं देगा. पूरी ट्रेड में ट्रांसपेरेंसी आएगी. 

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भारत में सोने की मांग सबसे ज्यादा (सांकेतिक- पीटीआई)
भारत में सोने की मांग सबसे ज्यादा (सांकेतिक- पीटीआई)

उम्मीद है कि ये गोल्ड एक्सचेंज अगले साल भर में काम करना शुरू कर देगा, जिसका मुख्य काम सोने की कीमत को तय करना होगा. अभी भारत में सोने के दाम खपत और मांग से तय होते हैं, लेकिन माना जा रहा है कि गोल्ड एक्सचेंज से तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी. छोटे निवेशक बेफिक्र होकर अपनी पूंजी लगा सकेगा. इस भरोसे की सबसे बड़ी वजह सेबी है, जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर भी नजर रखती है.

जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में थी. महामारी से हर छोटे बड़े देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी. इन सबके बीच एक खबर ने सबका ध्यान खींचा और वो थी सोने के दाम. जब लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई थी. तब भारत में सोने और चांदी के दाम दिन-ब-दिन आसमान छू रहे थे.

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ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सोने में निवेश नहीं डूबेगा इसका यकीन लोगों को था. पिछले अनुभव भी उनके साथ थे. लेकिन गोल्ड एक्सचेंज की शुरुआत भारत में सोने में निवेश को एक नया आयाम देगी.

लेकिन क्या सरकार की सिर्फ इतनी ही योजना है. मोदी सरकार अपने इस कदम से आखिर क्या हासिल करना चाहती है. दुनिया के किन देशों में गोल्ड एक्सचेंज हैं.

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भारत जैसे देश में जहां सोने की सबसे ज्यादा खपत है. सोने को लेकर लोगों में गजब का आकर्षण है... भरोसा है. उस देश में ये जरूरी हो जाता है कि एक ऐसा पारदर्शी सिस्टम बनाया जाए. सरकार का ये कदम इसकी शुरुआत कही जा सकती है. 

यानी अगर सरकार की ये योजना कामयाब हुई तो इससे आम निवेशकों के अलावा देश को भी फायदा होगा. भारत ही नहीं दुनिया भर के लोग भारतीय गोल्ड एक्सचेंज में निवेश करेंगे. भारत को विदेशी मुद्रा मिलेगी. सरकारी खजाने को फायदा होगा. कुल मिलाकर भारत की आर्थिक ताकत में इजाफा होगा. इसीलिए एक्सपर्ट इसे बड़ा रिफॉर्म मान रहे हैं.

चीन हमारे बराबर सोना आयात करता है, लेकिन उसके शंघाई गोल्ड एक्सचेंज में हजारों टन सोना हर साल खरीदा और बेचा जाता है. भारत भी ऐसा कर सकता है,  जिससे न सिर्फ सोने के कारोबार में पारदर्शिता आएगी. बल्कि घर की तिजोरियों और बैंक के लॉकरों में बंद पड़े सोने की ताकत जगाया जा सकता है. 

भारत में करीब 25,000 टन सोना लोगों के पास रखा हुआ है (सांकेतिक- पीटीआई)
भारत में करीब 25,000 टन सोना लोगों के पास रखा हुआ है (सांकेतिक- पीटीआई)

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड का आयात करता है जो 800 से 900 टन के आसपास है. कोरोना महामारी में डिमांड की वजह से इसमें 47.42% कमी देखने को मिली, लेकिन अक्टूबर 2020 में इसके आयात में पिछले साल के मुकाबले 36% की बढ़ोत्तरी देखने को मिली.

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सोने की तस्करी बड़ी समस्या
इसकी वजह सोने की कीमतों में लगातार इजाफा था, जिसे कैश करवाने के लिए लोगों ने सोने में निवेश किया. जिसे खरीदने के लिए सरकारी खजाने को कोरोना महामारी जैसे दौर में भी डॉलर खर्च करने पड़े, लेकिन सोने को लेकर क्रेज फिर भी कम नहीं हुआ, जिसने भारत में सोने की तस्करी को एक बड़ी समस्या बना दिया है.

कनाडा की NGO IMPACT के अनुसार भारत हर साल 1,000 टन सोना आयात करता है. 800 टन सोना तो टैक्स चुकाकर भारत में दाखिल होता है, लेकिन 200 टन सोने की तस्करी होती है.

हमारे देश में तकरीबन 25,000 टन सोना लोगों के पास रखा हुआ है. इसमें से 10-12 हजार टन सोना अमीर लोगों के पास है. यह सोना बैंक के लॉकरों या घर की अलमारियों में पड़ा है. इस सोने का इस्तेमाल देश की अर्थव्यवस्था में नहीं हो पा रहा है. सरकार के सामने चुनौती ये है कि वो कैसे इस सोने का इस्तेमाल कर इससे जुड़ा पैसा अर्थव्यवस्था में पहुंचाएं क्योंकि लॉकर या अलमारी में पड़ा सोना बिना इस्तेमाल हुए पैसे की तरह है.

उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास एक किलो सोना है जिसकी कीमत करीब 50 लाख के करीब होगी. उसको गिरवी रखने पर तकरीबन 80% तक रकम मिलेगी जिसे किसी कारोबार में लगाया जा सकता है या कर्मचारियों को तनख़्वाहें दी जा सकती हैं. यानी लॉकर में बिना इस्तेमाल हुआ सोना पैसे में बदल सकता है. जो लोगों के हाथों में पहुंचकर देश की इकॉनमी में जान डाल सकता है. इसीलिए सरकार की कोशिश है कि देश में बेकार पड़े सोने का इस्तेमाल हो, लेकिन इसके लिए गोल्ड के कारोबार में विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा. आज का फैसला वैसा ही है.

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