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अर्बन मिडिल क्लास को बजट से फायदा, लेकिन रोजगार का क्या ?

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सिर्फ इतना कहा कि भारत विकास कर रहा है तो नौकरियां आएंगी और नौकरी खोजने वाले खुद लोगों को नौकरियां दे रहे हैं. लेकिन हकीकत सच्चाई से बिलकुल अलग है.

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वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने रोजगार को लेकर कोई ठोस घोषणा नहीं की.
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने रोजगार को लेकर कोई ठोस घोषणा नहीं की.

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वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट में मिडिल क्लास से लेकर किसानों तक को खुश करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन कहीं ना कहीं अर्बन मिडिल क्लास को इस बजट से इतना फायदा नहीं होता दिख रहा है. क्योंकि इस वर्ग में सबसे ज्यादा ऐसे लोग हैं जो बेरोजगार हैं.

देखा जाए तो बजट में युवा, शिक्षा और नौकरी जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सिर्फ इतना कहा कि भारत विकास कर रहा है तो नौकरियां आएंगी और नौकरी खोजने वाले खुद लोगों को नौकरियां दे रहे हैं. लेकिन हकीकत सच्चाई से बिलकुल अलग है.

आंकड़ों पर नजर डालें तो शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी 230 प्रतिशत बढ़ी है. जिसका सबसे ज्यादा असर अर्बन मिडिल क्लास पर पड़ रहा है. इस वर्ग के युवाओं के पास रोजगार नहीं है. हर साल बेरोजगारों की तादाद बढ़ती जा रही है.

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क्या कहती है सरकार....

ऐसा नहीं है कि सरकार ने इन युवाओं को कुशल बनाने के लिए कुछ नहीं किया. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत लोगों को ट्रेनिंग दी गई, लेकिन रोजगार ना होने के कारण इस योजना का फायदा होता नहीं दिखाई दे रहा है.

उधर, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि सरकार आई तो देश में दो मोबाइल फैक्ट्री थीं, अब 268 हैं. इन फैक्ट्रियों में लाखों लोग काम कर रहे हैं. हाल ही में आए एनएसएसओ के आंकड़े पूरे नहीं है. इसमें आईटी सेक्टर को सर्वे में शामिल नहीं किया गया है. जबकि आईटी सेक्टर ने काफी प्रगति की है.

उनका कहना है कि इस सेक्टर में 40 लाख डायरेक्ट लोग काम कर रहे हैं और 1.30 लाख लोग इससे इनडायरेक्टली जुड़े हैं. वहीं पिछले पांच साल में 6 लाख नई नौकरियां मिली हैं. देशभर में 250 नए बीपीओ भी खुले हैं.

शिक्षा का बजट बढ़ा पर रोजगार नहीं...

युवा मामलों से संबंधी मंत्रालय का बजट इस बार 1% ही बढ़ाया गया. एजुकेशन बजट 10% बढ़ाकर 93,848 करोड़ रुपये  किया गया. वहीं, दूसरी ओर 5 साल में प्रोफेशनल कोर्स की फीस बढ़ी है. आईआईटी-आईआईएम के अलावा कई बड़े संस्थानों में सीटें खाली हैं और पास आउट हो चुके युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध नहीं है.

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