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...जब प्रभु ने ‘प्रभु’ को याद किया

भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु को ‘प्रभु’ से मदद मांगनी पड़ी. हालांकि बाद में उन्होंने खुद ही यह बीड़ा उठाने का फैसला किया. लोकसभा में गुरुवार को अपना पहला रेल बजट पेश करते हुए सुरेश प्रभु ने रेलवे को सुदृढ़ बनाए जाने की योजनाओं पर कहा, 'आमान परिवर्तन, दोहरीकरण, तिहरीकरण और विद्युतिकरण पर जोर दिया जाएगा.'

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रेल मंत्री सुरेश प्रभु
रेल मंत्री सुरेश प्रभु

भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु को ‘प्रभु’ से मदद मांगनी पड़ी. हालांकि बाद में उन्होंने खुद ही यह बीड़ा उठाने का फैसला किया. लोकसभा में गुरुवार को अपना पहला रेल बजट पेश करते हुए सुरेश प्रभु ने रेलवे को सुदृढ़ बनाए जाने की योजनाओं पर कहा, 'आमान परिवर्तन, दोहरीकरण, तिहरीकरण और विद्युतिकरण पर जोर दिया जाएगा. औसत गति बढ़ेगी. गाड़ियों के समय पालन में सुधार होगा. मालगाड़ियों को समय सारिणी के अनुसार चलाया जा सकेगा.'

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प्रभु ने कहा, 'मेरे मन में सवाल उठता है... हे प्रभु, ये कैसे होगा?' प्रभु द्वारा 'प्रभु' का इस प्रकार संदर्भ दिए जाने से सदन में मौजूद सदस्य उनकी वाकपटुता से अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके. रेल मंत्री ने कहा, 'प्रभु ने तो जवाब नहीं दिया, तब इस प्रभु ने सोचा कि गांधीजी जिस साल भारत आए थे, उनके शताब्दी वर्ष में भारतीय रेलवे को एक भेंट मिलनी चाहिए कि परिस्थिति बदल सकती है. रास्ते खोजे जा सकते हैं, इतना बड़ा देश, इतना बड़ा नेटवर्क, इतने सारे संसाधन, इतना विशाल मैनपावर, इतनी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति. तो फिर क्यों नहीं हो सकता रेलवे का पुनर्जन्म.'

सदन में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल मंत्री के भाषण को पूरे गौर से सुना और वह भाषण सुनने के साथ-साथ लगातार लिखित भाषण के पन्ने भी पलटते देखे गए. प्रधानमंत्री के साथ वाली सीट पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह जबकि प्रभु के बगल में नितिन गडकरी और वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी बैठे हुए थे. विपक्ष की ओर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके समीप वाली सीट पर एसपी प्रमुख मुलायम सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और मल्लिकार्जुन खड़गे बैठे हुए थे.

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-इनपुट भाषा से

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