रेल मंत्री ने पीछे के दरवाजे से किराया बढ़ा दिया तो हर कोई उनसे यही कह रहा है, बढ़ाना ही था तो ताल ठोककर बढ़ाते, बोलते कि हम ठीक से नहीं चला पा रहे, जैसे जनवरी में बताया था. लेकिन अपना पहला रेल बजट पेश करते हुए रेल मंत्री पवन बंसल इतना साहस नहीं दिखा पाए. उन्होंने मुसाफिरों का बोझ बढ़ाने में सारे तिकड़म कर डाले लेकिन चोरी-चोरी चुपके-चुपके. इस बजट के बाद आम आदमी यही पूछ रहा है कि छुपाके क्यों बढ़ाया रे.