ग्लोबल रेटिंग एजेंसी Fitch Ratings का कहना है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बाद बैंकों का NPA अपने पीक पर पहुंच जाएगा. जानें क्या हो सकती है इसकी वजह...
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Fitch Ratings का कहना है कि वित्त वर्ष 2020-21 में बैंकों ने कुल जितना लोन बांटा उसमें बैड लोन का अनुपात 7.5% रहा. ये भारतीय बैंकों का उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन है. इसकी बड़ी वजह नए बैड लोन कम बनना और दूसरा बड़े पैमाने पर फंसे कर्ज को बट्टे खाते डाल देना है. (Photo : Getty)
Fitch Ratings ने अपनी रिपोर्ट ‘इंडियन बैंक्स 2021 रिपोर्ट कार्ड’ में ये बात कही है. उसका कहना है कि कोरोना काल में MSME जैसे प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार ने कई राहत दी हैं. इसमें उन्हें लोन देने के लिए सरकार गारंटी स्कीम भी लाई है. MSME को बड़े स्तर पर ऋण देने के दौरान एसेट क्वालिटी से जुड़े जोखिमों या समस्याओं की पहचान स्थगित कर दी गई है. (Photo : Getty)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड से पार पाने और अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के लिए एक राहत पैकेज की घोषणा की. 28 जून को घोषित इस पैकेज का आकार 6.29 लाख करोड़ रुपये है जिसमें क्रेडिट गारंटी स्कीम के लिए अतिरिक्त 1.5 लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था करना शामिल है.
हालांकि Fitch Ratings का कहना है कि सरकारी बैंकों के मुकाबले 2020-21 में प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन बेहतर रहा है. इससे बैंकिंग सिस्टम पर पॉजिटिव असर डाला है. लेकिन एसेट क्वालिटी से जुड़े जोखिम किनारे रखने से दबाव बढ़ा है. (Photo : Getty)