केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सोने की ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग के नियमों को 15 जून 2021 से अनिवार्य कर दिया है. इससे पहले देशभर में 1 जून 2021 से गोल्ड ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का फैसला लिया गया था. लेकिन अब 15 दिन की राहत दे दी गई है.
कोरोना संकट की वजह से मोहलत:
दरअसल, यह नियम लागू होते ही देश में सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वैलरी ही बिकेगी. बता दें, केंद्र सरकार ने नवंबर, 2019 में घोषणा की थी कि सोने के आभूषणों और कलाकृतियों के लिए हॉलमार्किंग 15 जनवरी 2021 से अनिवार्य हो जाएगी. लेकिन कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए इसे लागू करने का समय अब 15 जून 2021 कर दिया गया है.
क्या होती है हॉलमार्किंग: हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है. इसके तहत हर गोल्ड ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अपने मार्क के द्वारा शुद्धता की गारंटी देता है. केंद्र ने साफ कर दिया है कि हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद देश में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट सोने की ज्वैलरी ही बिकेगी.
इसके द्वारा इसका सही आंकड़ा मिल जाता है कि किसी ज्वैलरी में कीमती धातु (जैसे सोने) का कितना हिस्सा है और इसकी आधिकारिक मुहर होती है. एक तरह से यह कहा जा सकता है कि यह हॉलमार्किंग सरकार द्वारा दी गई सोने की शुद्धता की गारंटी होती है. (फाइल फोटो)
शुद्धता का भरोसा: BIS से सर्टिफाइड ज्वैलर अपने ज्वैलरी पर किसी भी निर्धारित हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क हासिल कर सकते हैं. इसका आम उपभोक्ताओं को सबसे बड़ा फायदा कि है कि वे जो गोल्ड ज्वैलरी खरीदेंगे, उस पर यह भरोसा होगा कि जितने कैरेट की शुद्धता का बताया जा रहा है, उतने ही शुद्धता का वाकई मिल रहा है.
खुद कर पाएंगे पहचान: आप हॉलमार्क ज्वैलरी की चार तरह से पहचान कर पाएंगे. पहला- बीआईएस मार्क-हर ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का ट्रेडमार्क यानी BSI का लोगो होगा. दूसरा- कैरेट में प्योरिटी-हर ज्वैलरी की कैरेट या फाइनेंस में प्योरिटी होगी. 916 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वैलरी 22 कैरेट के गोल्ड (91.6 फीसदी शुद्धता) का है. 750 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वैलरी 18 कैरेट (75 फीसदी शुद्ध) गोल्ड का है. इसी तरह 585 लिखा है तो इसका मतलब कि ज्वैलरी 14 कैरेट गोल्ड (58.5 फीसदी शुद्धता) का है. (फाइल फोटो)
तीसरा- हर ज्वैलरी पर एक विजिबल आइडेंफिकेशन मार्क होगा जो हालमार्क सेंटर का नंबर होगा. चौथा- हर ज्वैलरी पर एक विजिबल आइडेंटिफिकेशन मार्क होगा ज्वैलर कोड के रूप में, यानी यह किस ज्वैलर के यहां बना है, उसकी पहचान होगी.