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बिज़नेस न्यूज़

एक और गुड न्यूज, डॉलर से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया देश का खजाना

भर गया देश का खजाना
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इकोनॉमी में सुधार के संकेत के बीच एक और अच्छी खबर सामने आई है. कोरोना संकट के बीच विदेशी मुद्रा भंडार से देश का खजाना भर गया है. विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. केंद्र सरकार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. 

लगातार बढ़ रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
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दरअसल, कोरोना संकट की वजह से पिछले दो क्वार्टर में आर्थिक मोर्चे पर कई झटके लगे हैं, लेकिन इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ता गया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 6 नवंबर को खत्म सप्ताह के दौरान 7.779 बिलियन डॉलर चढ़कर 568.494 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. 

पहली बार 568 बिलियन डॉलर के पार
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विदेशी मुद्रा भंडार ने पहली बार 568 बिलियन डॉलर के स्तर को पार किया है, यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इससे पहले 30 अक्टूबर को यह 1.83 करोड़ डॉलर मजबूत होकर 560.715 अरब डॉलर पर था. आरबीआई के मुताबिक 6 नवंबर को खत्म सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में बड़ी बढ़ोतरी का फायदा विदेशी मुद्रा भंडार पर दिखा, जिससे यह 568 बिलियन डॉलर के ऊपर पहुंचा.
 

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सरकार के लिए अच्छी खबर
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समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 6.403 बिलियन डॉलर चढ़कर 524.742 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई. एफसीए में अमेरिकी डॉलर को छोड़ यूरो, पाउंड और अन्य मुद्राओं को शामिल किया जाता है. इसकी गणना भी डॉलर के मूल्य में ही होती है. जबकि इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.328 अरब डॉलर बढ़कर 37.587 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया.  

5 जून को 500 अरब डॉलर के पार
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5 जून को 500 अरब डॉलर के पार
बता दें कि पांच जून को खत्म हुए सप्ताह में पहली बार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर गया था. उस समय यह 8.22 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 501.70 अरब डॉलर पहुंचा था.

 विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का मतलब
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विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का मतलब
विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी किसी भी देश की इकोनॉमी के लिए अच्छी बात है. इसमें करंसी के तौर पर अधिकतर डॉलर होता है. डॉलर के जरिए ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है. जब हम किसी देश को कुछ बेचते हैं तो बदले में हमें भी तो अमेरिकी डॉलर ही मिलता है. यही वजह है कि हर देश आयात से ज्यादा निर्यात करना चाहता है ताकि उसके पास खर्च से ज्यादा डॉलर की आमदनी हो. 

तीन दशक में शून्य से शिखर तक का सफर
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गौरतलब है कि 30 साल पहले वर्ष 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार शून्य पर चला गया था. बीते तीन दशक में भारत ने शून्य से शिखर तक का रास्ता तय कर लिया है. 1980-90 के दशक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होते-होते ऐसी स्थिति में पहुंच गया था कि 1991 में देश को अपना सोने का खजाना गिरवी रखना पड़ गया था. 

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