देश भर में किसानों की फसलों की सुरक्षा को बढ़ावा देने और किसानों तक फसल बीमा का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लिए 16000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 305 करोड़ रुपये इस बजट में बढ़ोतरी की गई है. (Photo: File)
केंद्र सरकार का कहना है फसल बीमा योजना के लिए बजट में बढ़ोतरी देश में कृषि क्षेत्र के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह सरकारी योजना किसानों को बुवाई चक्र के पूर्व से लेकर फसल की कटाई के बाद तक के लिए सुरक्षा प्रदान करती है. (Photo: File)
पांच वर्ष पहले, 13 जनवरी 2016 को मोदी सरकार ने इस प्रमुख फसल बीमा योजना को मंजूरी दी थी. किसानों के लिए देश भर में सबसे कम और एक समान प्रीमियम पर एक व्यापक जोखिम समाधान प्रदान करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल के रूप में इस योजना की कल्पना की गई थी. (Photo: File)
वर्तमान समय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना विश्व स्तर पर किसान भागीदारी के मामले में सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है और प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बड़ी योजना है. साल-दर-साल के आधार पर 5.5 करोड़ से अधिक किसानों से आवेदन प्राप्त किये जा चुके हैं. इस समय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना-पीएमएफबीवाई के तहत नामांकित कुल किसानों में से 84% छोटे और सीमांत किसान हैं. इस प्रकार सबसे कमजोर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. (Photo: File)
पिछले 5 वर्षों में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने संरचनात्मक, तार्किक और अन्य चुनौतियों का सामना करते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) योजना को फिर से शुरू करने की दिशा में बड़े पैमाने पर काम किया है. इस योजना को 2020 में इसके सुधार के बाद किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया गया था.
इस योजना ने किसान को फसल बीमा ऐप, कृषक कल्याण केंद्र- सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से किसी भी घटना के होने के 72 घंटों के भीतर हुए फसल के नुकसान की रिपोर्ट करना और भी आसान बना दिया है. इसके बाद, नुकसान के दावा के लाभ पात्र किसान के बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रदान किया जाता है. (Photo: File)