कोरोना की रोकथाम के लिए लागू प्रतिबंधों से कंस्ट्रक्शन को बड़ा झटका लगा है. निर्माण की मंजूरी के बावजूद इसे जारी रखने के लिए जरुरी सामानों की सप्लाई चेन बिखर गई है. मजदूरों के पलायन ने भी घरों के बनने की रफ्तार धीमी कर दी है. इससे 4 लाख से ज्यादा लोगों का इस साल गृह प्रवेश का सपना टूट सकता है. (Photo: File)
कोरोना की दूसरी लहर से रियल एस्टेट सेक्टर को भारी नुकसान हुआ है. डेवलपर्स के साथ ही गृह प्रवेश का इंतजार देख रहे लाखों घर खरीदारों के सपनों को भी इससे चोट पहुंच सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के ताजा संकट से 2021 में पूरे होने वाले 4 लाख 22 हजार से ज्यादा घरों के पजेशन में देरी हो सकती है. (Photo: File)
2021 में जितने घरों का पजेशन होना है, उसमें से 72 परसेंट की बिक्री हो चुकी है. डेवलपर्स का दावा है कि कोरोना की वजह से जारी प्रतिबंधों के बीच सप्लाई चेन टूट गई है. ऐसे में कंस्ट्रक्शन की इजाजत होने के बावजूद निर्माण कार्यों को जारी रखना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है. साथ ही मजदूरों के पलायन से भी काम की रफ्तार को बनाए रखना नामुमकिन है. (Photo: File)
2021 में देश के 7 बड़े शहरों में जितने घरों का पजेशन दिया जाना था उनमें से 28 फीसदी दिल्ली NCR में हैं. 26 फीसदी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन यानी MMR में हैं. 18 प्रतिशत घर पुणे में हैं. (Photo: File)
यानी ज्यादा हिस्सेदारी की वजह से संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा इंतजार दिल्ली-NCR के घर खरीदारों को करना होगा. जानकारों का मानना है कि अब सरकार को रियायतों का ऐलान करना चाहिए, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर पजेशन में ज्यादा देरी ना करे. साथ ही पिछले साल की तरह सीमित देरी के लिए पेनाल्टी वगैरह का बोझ भी सरकार को हटाने पर विचार करना होगा. (Photo: File)
इस देरी की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान अफोर्डेबल कैटेगरी के होम बायर्स को होने की आशंका है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल डिलीवर होने वाले 4 लाख 22 हजार घरों में से 40 फीसद सस्ते यानी 40 लाख से कम कीमत के मकान हैं. मिड सेगमेंट यानी 40 लाख से 80 लाख के बीच के मकानों की हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी है. जबकि लग्जरी सेगमेंट यानी डेढ़ करोड़ से ज्यादा कीमत के घरों की हिस्सेदारी 9 फीसदी है. (Photo: File)