देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच जाने के बाद अब कोविड-19 टीकाकरण पर जोर और बढ़ गया है. कोविड वैक्सीन के करीब 11 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं. वैक्सीन के शॉर्टेज होने की भी कई खबरें आई हैं. ऐसे में यह जानकार आपको हैरत हो सकती है कि भारत में COVID-19 के कुल टीका उत्पादन करने की क्षमता तो देश के लिए पर्याप्त है ही, हम दूसरे देशों को निर्यात भी कर सकते हैं. (फाइल फोटो: PTI)
भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने हाल में एक संसदीय समिति को यह जानकारी दी है कि सीरम द्वारा कोविशील्ड (Covishield) उत्पादन की क्षमता हर महीने 7 से 10 करोड़ डोज (यानी साल में 1.2 अरब डोज) की है. इसी तरह भारत बायोटेक द्वारा साल में करीब 15 करोड़ कोवैक्सीन (Covaxin) के उत्पादन की क्षमता है. हालांकि दोनों कंपनियां अपनी पूरी क्षमता का उत्पादन नहीं कर रहीं. (इलस्ट्रेशन: बंदीप सिंह)
इसकी वजह यह है कि उन्हें इससे ज्यादा कमाई नहीं हो रही. सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार पहले कोविशील्ड के एक डोज के लिए टैक्स सहित 210 रुपये दे रही थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर बिना टैक्स के 150 रुपये प्रति डोज कर दिया गया. यह लोगों को 250 रुपये में मिल रहा है, यानी करीब 100 रुपये लगाने वाले हॉस्पिटल के चार्ज और टैक्स में चले जाते हैं. (फाइल फोटो: PTI)
हाल में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) के सीईओ अदार पूनावाला ने सरकार से 3,000 करोड़ रुपये के अनुदान की मांग की थी ताकि कोविशील्ड के उत्पादन को और बढ़ाया जा सके. खबरों के अनुसार टीका बनाने वाली कंपनियां जैसे सीरम, जेनोवा और बायोलॉजिक ई. सरकार के 900 करोड़ रुपये के कोविड सुरक्षा फंड से सहयोग चाहती हैं ताकि वे अपने टीका उत्पादन कार्यक्रम को तेज कर सकें. भारत बायोटेक ने भी 150 करोड़ रुपये की मांग की है.
गौरतलब है कि इस साल जनवरी में भारत सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी थी. भारत बायोटेक के पास हैदराबाद में दो और बेंगलुरु में एक कारखाने हैं. कंपनी हैदराबाद के कारखानों की क्षमता को दोगुना और बेंगलुरु के उत्पादन को पांच गुना करने में लगी है. इसी तरह सीरम इंस्टीट्यूट भी अपनी कुल टीका उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर सालाना 1.6 अरब से 2.3 अरब तक करने में लगी हुई है.
सोमवार को भारत में रूसी स्पुतनिक V (Sputnik-V) टीके को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन इसे डॉ. रेड्डीज द्वारा आयात कर बेचा जाएगा. लेकिन Sputnik-V टीका बनाने वाली कंपनी रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने भारत में ही टीका उत्पादन के लिए कई दूसरी दवा कंपनियों जैसे पनासिया बायोटेक (Panacea Biotec) स्टेलिस बायोफार्मा (Stelis Biopharma) ग्लैंड फार्मा (Gland Pharma) और विरचो बायोटेक (Virchow Biotech Private Limited) के साथ साझेदारी की है. इन सभी के द्वारा कुल मिलाकर हर साल 85 करोड़ Sputnik-V टीके का उत्पादन किया जाएगा. (फाइल फोटो)
यही नहीं, 2021 की तीसरी तिमाही तक भारत को पांच और टीके मिल सकते हैं. अहमदाबाद की Zydus Cadila अपने ZyCov-D टीके के तीसरे चरण के ट्रायल में लगी है. कंपनी की योजना कुल मिलाकर 25 करोड़ डोज सालाना के उत्पादन की है.
हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई ने जॉनसन ऐंड जॉनसन के COVID-19 टीका के हर साल 60 करोड़ डोज तेयार करने का कॉन्ट्रैक्ट लिया है. यह सिंगल शॉट टीका अमेरिका में मंजूर हो चुका है और भारत में इसके क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी चल रही है. भारत बायोटेक एक और टीके का क्लीनिकल ट्रायल कर रही है, जिसे नाक से लिया जा सकेगा. इसके चेयरमैन कृष्णा इल्ला ने कहा था कि सरकार से मंजूरी मिली तो कंपनी इसे जून 2021 तक बाजार में उतार सकती है. उन्होंने कहा था कि कंपनी इसके करीब 1 अरब डोज तैयार कर सकती है. (फाइल फोटो)
टीका उत्पादन वाली एक और कंपनी अरबिंदो फार्मा की फिलहाल कोविड-19 टीका लाने की योजना नहीं दिख रही, लेकिन कंपनी अपने टीका उत्पादन क्षमता को जून 2021 तक बढ़ाकर 22 करोड़ डोज सालाना करने की तैयारी कर रही है.
इस तरह भारत में टीका उत्पादन करने वाली सभी कंपनियों की सभी तरह की कुल वैक्सीन उत्पादन क्षमता सालाना 8.2 अरब डोज की हो जाएगी. जो कोविड टीका नहीं बना रहीं, वे भी जरूरत पड़ने पर इसका उत्पादन कर सकती हैं. यह डोज इतना पर्याप्त है कि इससे पूरे देश का टीकाकरण तो हो ही जाएगा, दुनिया कई अन्य देशों को निर्यात भी किया जा सकता है. (इलस्ट्रेशन: बंदीप सिंह)
(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)