कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने महिलाओं के जनधन खातों में लगातार 3 महीने तक 500 रुपये की राशि जमा कराई. जिससे खाताधारकों को आर्थिक मदद मिली. अब SBI की इकोरैप रिपोर्ट में एक आंकड़ा सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना संकट के दौरान देश में बड़े पैमाने पर जनधन खाते खुले.
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से जहां देश में सभी आर्थिक गतिविधियां बंद थीं. लेकिन इस दौरान जनधन खाते खूब खुले. एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 के बाद से करीब 3 करोड़ नए जनधन खाते खुले हैं और इनमें कुल 11,600 करोड़ रुपये जमा किए गए.
SBI की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 14 अक्टूबर तक देश में जनधन खातों की कुल संख्या बढ़कर 41.05 करोड़ तक पहुंच गई और इन बैंक खातों में करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये डिपॉजिट हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन खातों में औसत बैंक बैलेंस अप्रैल में 3400 रुपये था, जो सितंबर में घटकर 3168 रुपये हो गया, लेकिन अक्टूबर में फिर इसमें मामूली बढ़ोतरी हुई और यह 3185 रुपये पर पहुंच गया.
केंद्र सरकार ने तीन महीने अप्रैल, मई और जून में 20 करोड़ महिलाओं के खातों में 500-500 रुपये की किश्त भेजी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को जनधन योजना की घोषणा की थी, और इसे 28 अगस्त 2014 को लॉन्च किया गया. इसका मकसद सभी परिवार को बैंक सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना था.
जनधन खाता खुलवाना बेहद आसान है और अगर अभी तक आपके पास कोई बैंक खाता नहीं है तो भी आप जनधन अकाउंट खुलवा सकते हैं. इसके लिए बैंक में आपको एक फॉर्म भरना होगा. उसमें नाम, मोबाइल नंबर, बैंक ब्रांच का नाम, आवेदक का पता, नॉमिनी, व्यवसाय/रोजगार और वार्षिक आय व आश्रितों की संख्या, एसएसए कोड या वार्ड नंबर, विलेज कोड या टाउन कोड की जानकारी देनी होगी.
कोई भी भारतीय नागरिक इस योजना के तहत अकाउंट खुलवाने के लिए आवेदन कर सकता है. आवदेक की उम्र कम से कम 10 साल होनी चाहिए. किसी भी नजदीकी बैंक में जाकर या फिर बैंक मित्र के जरिए जनधन खाता खुलवा सकते हैं. PMJDY के अंतर्गत खुले खाते पर धारक 6 महीने के बाद 10,000 रुपये तक की राशि लोन के तौर पर भी ले सकते हैं.
जनधन खाते की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जीरो बैलेंस खाता है, यानी मिनिमम बैलेंस का कोई झंझट नहीं है. आम जनता को बैंकों से जोड़ने और उन्हें बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए इसकी शुरुआत की गई.