देश के रियल एस्टेट सेक्टर में कोरोना की पहली लहर के बाद जोरदार तेजी आई थी. आरबीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में घरों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी. लेकिन दूसरी लहर ने इस सेक्टर को फिर से कड़ा नुकसान पहुंचाया है और अब ये सेक्टर कई तरह की रियायतों की मांग कर रहा है.
बीते साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2020 में देश के बड़े रियल एस्टेट मार्केट्स में घरों की बिक्री औंधे मुंह लुढ़क गई थी. लेकिन जैसे ही कोरोना की पहली लहर के बाद लॉकडाउन खत्म हुआ तो फिर घरों की बिक्री में धीरे-धीरे सुधार हुआ था. अभी तक इस तरह का दावा केवल निजी रिसर्च एजेंसियों और डेवलपर्स ने किया था.
अब आरबीआई की रिपोर्ट ने भी इसकी तस्दीक की है. आरबीआई के हाउसिंग प्राइस इंडेक्स यानी HPI में 2020-21 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च में 2.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
इसके एक साल पहले यानी जनवरी-मार्च 2020 में घरों के दाम 3.9 फीसद बढ़े थे. RBI ने 10 बड़े शहरों की हाउसिंग रजिस्ट्रेशन अथॉरिटीज से हासिल आंकड़ों के आधार पर ये दावा किया है. इन 10 बड़े शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई शामिल हैं.
हालांकि इस तेजी के मौजूदा तिमाही यानी अप्रैल-जून में बरकरार रहने का भरोसा नहीं है. दूसरी लहर में लगे लॉकडाउन से इस साल फिर घरों की बिक्री में कमी की आशंका है और कीमतें भी लुढ़कने के आसार हैं. ऐसे में डेवलपर्स स्टॉम्प ड्यूटी समेत कई तरह की रियायतों की सरकार से मांग कर रहे हैं.
10 शहरों के औसत में भले ही घरों के दाम बढ़ते नजर आ रहे हैं. लेकिन असल में शहरों में घरों के दाम में बढ़ोतरी और गिरावट का अंतर काफी बड़ा है. बेंगलुरु में HPI में 15.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं जयपुर में HPI 3.6 फीसदी लुढ़क गया है. इस अंतर से साफ है कि घरों के दाम में बढ़ोतरी का ये असर महज चंद शहरों के प्रदर्शन के आधार पर दिखाई दे रहा है.
अगर इसी तुलना को साल दर साल करने की जगह तिमाही दर तिमाही देखें तो HPI जनवरी-मार्च तिमाही में महज 0.2 फीसदी बढ़ा है. इस दौरान दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और जयपुर में HPI में गिरावट दर्ज की गई है, और केवल 6 शहरों में ही इसमें इजाफा हुआ है.