भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से 2020 मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है. इस दौरान केंद्रीय बैंक की नीतियों की वजह से महामारी के गंभीर आर्थिक प्रभावों को कम करने में मदद मिली है. (Photo: File)
शक्तिकांत दास ने 39वें नानी पालकीवाला स्मृति व्याख्यान में कहा कि यह जरूरी है कि महामारी के बीच और उसके बाद वित्तीय प्रणाली के प्रबंधन के लिए एक ठोस और समझदारी वाला रुख अपनाया जाए. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान प्रमुख लक्ष्य आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देना था. (Photo: File)
शक्तिकांत दास ने कहा, 'जब हम पीछे देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारी नीतियों की वजह से महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में मदद मिली. मैं यह कहूंगा कि रिजर्व बैंक जरूरत के मुताबिक आगे और उपायों के लिए भी तैयार है. साथ ही हम वित्तीय स्थिरता कायम रखने को भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.' (Photo: File)
RBI का मानना है कि वित्तीय स्थिरता एक सार्वजनिक हित की चीज है और सभी अंशधारकों को इसके लचीलेपन और मजबूती का संरक्षण और देखभाल करने की जरूरत है. केंद्रीय बैंक ने अपने नीतिगत प्रयासों को एक अत्याधुनिक राष्ट्रीय भुगतान ढांचा खड़ा करने में लगाया है. (Photo: File)
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ऐसा अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है जिससे विनियमन वाली इकाइयां इन नए अवसरों का दोहन करने को तैयार हो सकें. साथ ही वित्तीय स्थिरता को कायम और संरक्षित भी रख सकें. केंद्रीय बैंक ‘बैड बैंक’ स्थापित करने के किसी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है. (Photo: File)
उन्होंने कहा कि नियामकीय दृष्टि से हम इसके लिए तैयार हैं. अगर कोई प्रस्ताव आता है, तो हम उसकी समीक्षा करेंगे और उसके लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे. लेकिन इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र के अन्य खिलाड़ियों को योजना बनाने की जरूरत है. यह पूछे जाने पर कि क्या रिजर्व बैंक के पास बांड बाजारों को आगे बढ़ाने का कोई तंत्र है, दास ने कहा कि हमारी इस पर बाजार भागीदारों के साथ लगातार बातचीत चल रही है. रिजर्व बैंक और सेबी के बीच काफी विचार-विमर्श हुआ है. (Photo: File)