दिल्ली और एनसीआर में रहने वालों पर इन दिनों महंगाई की मार पड़ रही है. सबसे ज्यादा परेशानी हर रोज किचन में इस्तेमाल होने वाले आलू, प्याज और टमाटर ने बढ़ाई है. थोक से लेकर खुदरा बाजारों में पिछले कुछ हफ्तों में इन तीनों की कीमतों में 30 से लेकर 50 फीसदी तक उछाल आया है.
जानकारों के मुताबिक तीनों के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मॉनसून का देर तक सक्रिय रहना है. आमतौर पर मॉनसून सबसे ज्यादा सक्रियता मध्य अगस्त तक दिखाता रहा है, लेकिन इस बार अलग-अलग इलाकों में अगस्त मध्य के बाद भी जोरदार बारिश हुई है जिसने या तो फसलों को खराब कर दिया या फिर बुआई में देरी हुई है.
आलू और प्याज को लेकर सबसे ज्यादा चिंता होती है और आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर तक प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, क्योंकि नई फसल का इंतजार होता है. लेकिन इस बार महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में हुई जबरदस्त बारिश ने फसल का नुकसान किया है और इसलिए कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं.
दिल्ली की आजादपुर मंडी में अलग-अलग किस्म की प्याज 15 से लेकर 30 रुपये तक थोक भाव में मिल रही है जो खुदरा बाजार में आते-आते 40 से 50 रुपये प्रति किलो हो जाती है. थोक और खुदरा बाजार के इस अंतर को आजादपुर मंडी के पुराने कारोबारी राजेंद्र शर्मा कुछ इस तरह से बताते हैं, 'दरअसल सप्लाई को दिल्ली लाने में 3 रुपये किलो पड़ता है, बोरी में और बाकी पैकिंग के चार्ज 2 रुपये किलो तक आते हैं. इसके अलावा खुदरा व्यापारी के सामने ढुलाई और सड़े हुए माल को छांटने की भी चुनौती होती है. फिर बाजार में उसे एमसीडी और बाजार एसोसिएशन को भी पैसा देना होता है.'
जानकार बताते हैं कि पिछली बार प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से इस बार केंद्र सरकार ने लगभग 1 लाख मैट्रिक टन प्याज स्टोर किया है, जिसे नैफेड जैसे सरकारी संस्थानों के माध्यम से बेचा जा रहा है. इस बार आयात करने का फैसला भी पिछले साल नवंबर की जगह सितंबर में ही कर लिया गया है. अगर ऐसा हुआ तो प्याज की कीमतें कंट्रोल में रहेंगी.
आलू की बुआई में इस साल देरी हो रही है, क्योंकि बुआई वाले इलाकों में बारिश फिलहाल रुकी नहीं है. पंजाब और हिमाचल में बारिश की वजह से जो अगड़ी बुआई हुई थी, वो खराब हो गई है. इसलिए कारोबारी स्टोर किए गए आलू को धीरे-धीरे निकाल रहे हैं और इस वजह से आजादपुर मंडी में थोक कीमत 25 रुपये से 32 रुपये चल रही है, जो आलू खुदरा बाजार में 40 से 50 रुपये किलो बिक रहा है. गौरतलब है कि यूपी और बाकी राज्यों में आलू की बुआई देरी से होती है.
इस साल श्राद्ध के ठीक बाद नवरात्र शुरू नहीं हो रहे हैं. आमतौर पर भारत में फसलों की बुआई सीधे-सीधे त्योहारों से जुड़ी होती है, लेकिन इस साल नवरात्रों में देरी से बुआई और कटाई दोनों पर असर पड़ रहा है. श्राद्ध और नवरात्रों के दौरान प्याज की खपत वैसे ही कम होती है यानी नई फसल आने से पहले लगभग एक महीने तक डिमांड कम होने से दाम कंट्रोल में रहते हैं. लेकिन इस साल श्राद्ध खत्म होने के एक महीने बाद नवरात्र शुरू होंगे यानी तब तक प्याज की खपत जारी रहेगी और उसके दाम में बढ़ोतरी डिमांड और सप्लाई के अंतर की वजह से चलती रहेगी.
टमाटर की कीमतों में आग यूं तो बरसात में हर साल लगती है क्योंकि पौधे जमीन के करीब होने की वजह से गल जाते हैं. ऐसे में टमाटर की सप्लाई पहाड़ी राज्यों या दक्षिण भारत से होती है, लेकिन इस साल वहां भी बारिश खूब हुई है और सप्लाई की कमी की वजह से खुदरा बाजार में टमाटर क्वालिटी के हिसाब से 60 से लेकर 100 रुपये तक बिक रहा है. जानकार बताते हैं कि मॉनसून इस बार अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक जारी रहेगा और तब तक इसकी कीमतों में राहत की संभावना कम ही दिखाई देती है.