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'1 करोड़ का हेल्‍थ कवर भी काफी नहीं...' स्वास्थ्य बीमा की बढ़ती लागत पर एक्‍सपर्ट ने ये क्‍या कह दिया?

भारत में निजी स्वास्थ्य सेवाएं लगातार महंगी होती जा रही हैं. सरकार स्वास्थ्य सेवा पर सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ 2.1% खर्च करती है, जो दुनिया में सबसे कम है. सरकारी अस्पताल संघर्ष कर रहे हैं, और ज्‍यादातर मिडिल क्‍लास फैमिली वहां जाना पसंद नहीं करते.

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Health Insurance Cover
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पॉलिसीहोल्‍डर्स के मेडिकल खर्च से लेकर उसके मौत के बाद फैमिली को फाइनेंशियल सेफ्टी देने तक, हेल्‍थ और लाइफ इंश्‍योरेंस फाइनेंशियल फ्रीडम देने में एक खास भूमिका निभाते हैं. हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि भारत में हेल्‍थ सर्विस की लागत सालाना 14 फीसदी बढ़ रही है. ACKO इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट का कहना है कि डबल अंक में महंगाई बढ़ने से हेल्‍थ सर्विस खर्च में ग्रोथ हुई है. 

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हेल्‍थ सेक्‍टर्स में बढ़ती महंगाई को देखते हुए, Beshak.org के संस्थापक महावीर चोपड़ा ने कहा कि 1999 में मेरे पिता के पास 2 लाख के कवरेज वाली एक मजबूत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी थी, जिसे वे संतोषजनक मानते थे. 2010 में, मेरा मानना ​​था कि 10 लाख रुपये का कवरेज पर्याप्त था. हालांकि, आज भी 1 करोड़ रुपये का कवरेज पर्याप्त नहीं लगता है.  

स्वास्थ्य बीमा चिकित्सा देखभाल के खर्चों में सहायता करके वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. डॉक्टर के पास जाने, अस्पताल में रहने, सर्जरी, दवाइयों और टेस्‍ट जैसे स्वास्थ्य सेवा लागतों के कवरेज के बदले में बीमा कंपनी को मासिक प्रीमियम का भुगतान किया जाता है. 

सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में चोपड़ा ने कहा कि भारत में निजी स्वास्थ्य सेवाएं लगातार महंगी होती जा रही हैं. सरकार स्वास्थ्य सेवा पर सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ 2.1% खर्च करती है, जो दुनिया में सबसे कम है. सरकारी अस्पताल संघर्ष कर रहे हैं, और ज्‍यादातर मिडिल क्‍लास फैमिली वहां जाना पसंद नहीं करते. 

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इससे हमें प्राइवेट हॉस्पिटल का सहारा लेना पड़ता है और हम सभी जानते हैं कि वे कितने महंगे हैं. क्योंकि गुणवत्तापूर्ण हेल्‍थ सर्विस की मांग, आपूर्ति से कहीं अधिक है. आप जहां भी रहते हैं वहां के टॉप अस्‍पतालों पर नजर डालिए वहां हमेशा भीड़ रहती है. बेड उपलब्‍ध नहीं होते हैं. 


सबसे खराब बात यह है कि बड़ी कंपनियों के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रवेश करने के साथ-साथ और प्राइस तय करने पर कोई विनियमन न होने के कारण, आपूर्ति बढ़ सकती है, लेकिन वैल्‍यू तय की स्थिति और भी बदतर हो सकती है. 

मुझे आशा है कि मैं गलत हूं, लेकिन ऐसा लगता है कि हम एक अमेरिकी शैली की प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं, जो पूरी तरह से निजी अस्पतालों पर निर्भर है जो बहुत अधिक शुल्क लेते हैं. 14% स्वास्थ्य सेवा महंगाई शायद उससे कम हो सकती है, जिसका हम अनुभव कर सकते हैं.

अस्पताल में भर्ती होने का खर्च बढ़ रहा है
अपेंडिक्स सर्जरी: ₹70K (2015) → ₹1.5L (2024)
मोतियाबिंद सर्जरी: ₹25K (2010) → ₹60K+ (2024), 
ICU प्रति दिन: ₹5K (2015) → ₹15K (2024)
एंजियोप्लास्टी: ₹1.5L (2010) → ₹3-7L (2024)

लाइफस्‍टाइल के कारण अस्पताल जाने की संख्या बढ़ेगी

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उन्‍होंने कहा कि मेरी 70 वर्षीय चाची को केवल उम्र से संबंधित समस्याएं हैं, मोतियाबिंद है और उन्हें घुटने का प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी गई है (जिसे वे टाल रही हैं) लेकिन आज हम देखते हैं कि 35 वर्ष के लोगों को भी वे बीमारियां हो रही हैं जो पहले 40 वर्ष की उम्र के लोगों को होती थीं. हार्ट सर्जरी, जो कभी 50 की उम्र के बाद आम हुआ करती थी. अब 40 की उम्र के बाद होने लगी है. 10 वर्षों में कैंसर के मामले 42% बढ़ गए हैं. हार्ट संबंधी बीमारियों में 200-300% की वृद्धि हुई है. 

लगातार बढ़ रहा मेडिकल खर्च 
उन्‍होंने कहा कि एक लिवर ट्रांसप्लांट की कॉस्‍ट आज 30-40 लाख रुपये है, जो 10% महंगाई दर के हिसाब से 20 सालों में आसानी से 1.5 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. ICU का शुल्क मात्र 10 साल में ₹5K प्रतिदिन से बढ़कर ₹20K हो गया है. फिर 2045 में यह कितना होगा?

सबसे महत्वपूर्ण बात जब परिवार का कोई सदस्य गंभीर रूप से बीमार हो, तो आप लागत के आधार पर निर्णय नहीं लेते. आप अच्‍छे डॉक्‍टर और अच्‍छे अस्‍पताल की तलाश करते हैं. उन्‍होंने कहा कि जब मेरे पिताजी के सिर में गोल्फ की गेंद के आकार का ट्यूमर (शुक्र है कि वह कैंसर नहीं था) हुआ, तो हमने सर्वश्रेष्ठ सर्जन को खोजने की कोशिश की.  ऐसी परिस्थितियों में आप और मेरे जैसे अधिकांश लोग यही करेंगे. 

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चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ोतरी के कारण लागत और भी अधिक बढ़ जाएगी. आज के उपचार एक दशक पहले की तुलना में कहीं अधिक सही है. लेकिन वे बहुत अधिक महंगे भी हैं. कैंसर के इलाज की लागत आज की तुलना में 1/5वीं हुआ करती थी. इम्यूनोथेरेपी और लक्षित चिकित्सा ने कैंसर देखभाल को पूरी तरह से बदल दिया है, लेकिन इनकी लागत पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में 5-10 गुना अधिक है. 

क्‍या करना चाहिए? 
उन्होंने बताया कि मुझे लगता है कि पैसा नहीं, बल्कि फिटनेस आपको अच्‍छे जीवन जीने में मदद कर सकती है. हम वास्तव में नहीं जानते कि हमें कितने स्वास्थ्य बीमा की आवश्यकता होगी. हम केवल सबसे खराब स्थिति के लिए योजना बना सकते हैं. अपनी क्षमता के अनुसार उच्चतम बीमा खरीद सकते हैं. 

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