इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Financial Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) की मदद के लिए 10 देश आगे आए हैं. देश के बिजली और ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जानकारी साझा करते हुए कहा गया कि भारत सहित 10 देशों की 24 कंपनियों ने यहां पेट्रोलियम उत्पाद बेचने में रुचि दिखाई है.
भारत समेत ये देश लिस्ट में शामिल
कोलंबो पेज नामक समाचार पोर्टल पर श्रीलंका ऊर्जा मंत्रालय के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. इसमें बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकेरा ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब (Saudi Arabia), अमेरिका (America), चीन (China), भारत (India), रूस (Russia), ब्रिटेन (Britain), मलेशिया (Malaysia), नॉर्वे (Norway) और फिलीपींस (Philippines) की 24 कंपनियों ने अभिरुचि पत्र (EOI) जमा किए हैं. इन कंपनियों ने देश के ऊर्जा क्षेत्र में अपनी गहरी दिलचस्पी दिखाई है.
6 हफ्तों में किया जाएगा फाइनल
श्रीलंका में पेट्रोलियम उत्पादों की किल्लत का आलम ये है कि देश के पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं. जिन पंपों पर कुछ ईंधन बचा है तो वहां पर स्थानीय लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी उनके हाथ मायूसी ही लग रही है. रिपोर्ट के अनुसार, ऊर्जा मंत्रालय की नियुक्त समिति अब इन 10 देशों के प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी, और 6 हफ्तों में प्रक्रिया को अंतिम रूप देगी. ईंधन की किल्लत के चलते श्रीलंका में बीते कुछ समय में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की गई है.
50 नए पेट्रोल पंप खोलेगी IOCL
द्वीपीय देश में महंगाई (Inflation) चरम स्तर को पार कर गई है और लोग खाने-पीने से लेकर दवा तक के लिए मोहताज हैं. दूसरी ओर राजनीतिक घमासान ने देश की हालत पस्त कर दी है. बीते दिनों भारतीय तेल कंपनी इंडियन ऑयल (Indian Oil) ने पड़ोसी देश में ईंधन की किल्लत दूर करने के लिए 50 नए फ्यूल स्टेशन खोलने की बात कही थी.
IOCL की इकाई एलआईओसी (LIOC) के एमडी मनोज गुप्ता (Manoj Gupta) ने कहा था कि देश में पहले से कंपनी के 216 फ्यूल स्टेशन हैं. अब 2 अरब डॉलर का और निवेश करने की तैयारी है.
विदेशी मुद्रा की कमी से बिगड़े हालात
श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) लगभग खत्म होने के चलते देश में यह भीषण आर्थिक संकट गहरा गया है. ईंधन का आयात और पर्याप्त आपूर्ति बुरी तरह बाधित हुई है. श्रीलंका की सरकारी तेल कंपनी सीपीसी की आपूर्ति जून 2022 के मध्य में ही बंद हो गई थी. ईंधन की कमी का सीधा असर रोजमर्रा के सामानों पर पड़ा और महंगाई में जोरदार वृद्धि देखने को मिली. जिसके चलते लोग सड़कों पर प्रदर्शन को मजबूर हुए हैं.