देश में 5G टेक्नोलॉजी का ट्रायल अगले 2-3 महीने में शुरू हो सकता है. संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने एक संसदीय समिति को यह जानकारी दी है. DoT ने आईटी पर गठित संसदीय समिति को बताया कि 5जी के ट्रायल के लिए 16 आवेदन हासिल हो चुके हैं.
स्पेक्ट्रम में देरी पर चिंता
हालांकि संसदीय समिति ने 5जी ट्रायल के लिए जरूरी स्पेक्ट्रम के आवंटन में देरी पर चिंता जताई है. समिति ने कहा, 'टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स और इंडस्ट्री बॉडी की तैयारी के बावजूद यह वास्तव में परेशान करने वाली बात है कि अभी तक 5जी ट्रायल को मंजूरी नहीं दी गई है. यह DoT द्वारा कमिटी को दी गई जानकारी के बिल्कुल विपरीत है.'
कमिटी ने कहा कि जब DoT ने कहा है कि 5जी ट्रायल के बारे में कोई बड़ी समस्या नहीं है तो आखिर ट्रायल के लिए स्पेक्ट्रम क्यों नहीं दिया गया.
समिति ने देरी की वजह बताने को कहा, क्योंकि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर ने जनवरी में ही 5जी के ट्रायल के लिए आवेदन जमा कर दिया था. समिति ने कहा कि 5जी इकोसिस्टम तैयार करने के लिए ट्रायल पूर्व शर्त है और दूरसंचार विभाग को इसे गंभीरता से लेना चाहिए.
समिति ने कहा कि इस बारे में अब कोई भी देरी देश में 5जी इकोसिस्टम को तैयार करने पर विपरीत असर डालेगा. गौरतलब है कि दूरसंचार विभाग देश में शिक्षा, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, फिनटेक और पब्लिक सेफ्टी जैसे क्षेत्रों में 5जी के इस्तेमाल से चलने वाले केस लैब स्थापित कर रहा है.
स्पेक्ट्रम की होनी है नीलामी
गौरतलब है कि रिलायंस जियो सबसे पहले 5जी सेवाएं लाने का ऐलान कर चुका है. दूरसंचार विभाग ने पिछले महीने 700 MHz (मेगाहटर्ज), 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz और 2500 MHz के स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी का नोटिस जारी किया.
हालांकि इस नीलामी में 5जी सेवा के लिए जरूरी माने जाने वाले 3300 MHz और 3600 MHz केके स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी नहीं की जानी है. दुनियाभर में 5जी सेवाओं के लिए 3300 MHz और 3600 MHz के स्पेक्ट्रम बैंड को आदर्श माना जाता है. लेकिन यूरोप में 5जी सेवाएं शुरू करने के लिए बड़े पैमाने पर 700 MHz के स्पेक्ट्रम बैंड का उपयोग किया जा रहा है.