कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार के बीच कई राज्यों में कुछ दिन, महीनेभर के आंशिक और पूर्ण लॉकडाउन लगाए गए हैं. ऐसे में अटकलें देशभर में लॉकडाउन की भी लग रही हैं. यदि देश में महीनेभर का लॉकडाउन होता है तो एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 1 से 2% जीडीपी साफ होने का अनुमान है, जानिए पूरी खबर...
देश की वार्षिक आर्थिक वृद्धिदर के लिए जोखिम
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में ये अनुमान जताया है कि महीनेभर के नेशनल लॉकडाउन से देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1 से 2% साफ हो सकता है. इससे देश की वार्षिक आर्थिक वृद्धिदर में 3% तक के नुकसान का जोखिम पैदा हो सकता है.
कोरोना मोदी सरकार के लिए चुनौती
कोरोना वायरस की दूसरी लहर मोदी सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है. पिछले 30 दिन में कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन सामने वाले मामलों की संख्या में 6.5 गुना का इजफा देखा गया है. दुनियाभर में कोरोना के रोजाना सामने आने वाले मामलों में भारत की स्थिति सबसे बुरी है. सोमवार को देशभर में कोरोना के 3.52 लाख से अधिक मामले सामने आए.
स्थानीय लॉकडाउन महामारी को रोकने में कारगर
हालांकि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्थानीय लॉकडाउन में महामारी को सीमित करने की क्षमता है. बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरटीज इंडिया के इकोनॉमिस्ट इन्द्रनील सेल गुप्ता और आस्था गुडवानी ने सोमवार को एक नोट में कहा कि नेशनल लॉकडाउन की आर्थिक लागत बहुत ऊंची है. उन्हें उम्मीद है कि केन्द्र और राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू को और कड़ा कर संक्रमण रोकने की कोशिश करेंगी.
उनका कहना है कि नेशनल लॉकडाउन से 2021-22 में देश की जीडीपी में वास्तविक सकल घरेलू मूल्यवर्द्धन का जो 9% वृद्धि का अनुमान है उसके लिए 3% का जोखिम पैदा हो जाएगा.
रिजर्व बैंक के आगे आने की उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट की घड़ी में भारतीय रिजर्व बैंक आगे आकर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए सहायता करेगा. जैसे मई-जून में गरीबों को मुफ्त अनाज देने के लिए अतिरिक्त 26,000 करोड़ रुपये चाहिए, ये देश की जीडीपी के 0.1% के बराबर है. इसके लिए वह खुले बाजार की गतिविधियों (OMO) या G-Sap से लिक्विडिटी बढ़ाने जैसे उपाय कर सकता है.
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