कैबिनेट ने देश को चिप मैन्यूफैक्चरिंग का हब (Chip Manufacturing Hub) बनाने के लिए 76 हजार करोड़ की एक स्कीम (Incentive Scheme) को बुधवार को मंजूरी दे दी. यह प्रोत्साहन स्कीम हालिया चिप शॉर्टेज (Chip Shortage) से हुई परेशानियों से बचने के लिए है. इस स्कीम के तहत भारत में चिप मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट (Chip Manufacturing Plant) लगाने वाली कंपनियों को सब्सिडी समेत कई इंसेंटिव दिए जाएंगे. इसे सेमीकंडक्टर (Semiconductor) के मामले में देश को आत्मनिर्भर (Aatmanirbhar Bharat) बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
पॉलिसी से भारत को चिप इंडस्ट्री का हब बनाने में मिलेगी मदद
बिजनेस टूडे की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार भारत में सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम (Semiconductor Manufacturing Ecosystem) तैयार करने के लिए कई प्रोत्साहन दे सकती है. इसमें सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन यूनिट (Semiconductor Wafer Fabrication Unit) लगाने में खर्च होने वाली पूंजी पर 25 प्रतिशत सब्सिडी (Subsidy) भी शामिल है. इसी तरह एसेम्बलिंग (Assembling), टेस्टिंग (Testing), पैकेजिंग (Packaging) और चिप डिजाइन (Chip Design) के लिए भी प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं.
कैबिनेट की मंजूरी के बाद MEITY करेगा नोटिफाई
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की यह सेमीकंडक्टर पॉलिसी (Semiconductor Policy) भारत को चिप मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री (MEITY) इसे नोटिफाइ करोगा और कंपनियों को भारत में चिप इंडस्ट्री (Chip Industry) लगाने पर निवेश करने का न्यौता दिया जाएगा.
चिप शॉर्टेज से ये इंडस्ट्री हुईं प्रभावित
उल्लेखनीय है कि सेमीकंडक्टर यानी चिप का इस्तेमाल कार (Car) से लेकर लैपटॉप (Laptop) और टीवी (TV) से लेकर वॉशिंग मशीन (Washing Machine) बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है. मौजूदा चिप शॉर्टेज के चलते ऑटो इंडस्ट्री पहले ही मुसीबतों से जूझ रहा है. इससे न सिर्फ वाहन कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है, बल्कि उनकी बिक्री पर भी बुरा असर पड़ा है. कई मॉडलों की वेटिंग पीरियड साल भर से भी अधिक हो गई है. इनके साथ ही स्मार्टफोन, पर्सनल कंप्यूटर, गेम कंसोल और मेडिकल डिवाइसेज इंडस्ट्री पर भी इस संकट का असर हुआ है.