scorecardresearch
 

मॉरीशस के फंड से निवेश, गुपचुप तरीके से शेयरों की खरीदारी...10 प्वाइंट में समझें अडानी पर OCCRP के आरोप

तमाम दस्तावेजों के दम पर OCCRP ने अडानी समूह पर भारतीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिल रही है.

Advertisement
X
OCCRP ने अडानी ग्रुप पर लगाए हैं बड़े आरोप.
OCCRP ने अडानी ग्रुप पर लगाए हैं बड़े आरोप.

अरबपति गौतम अडानी और उनके पोर्ट-टू-एनर्जी ग्रुप के खिलाफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट्स (OCCRP) ने रिपोर्ट पब्लिश की है. OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 'अपारदर्शी' मॉरीशस फंड के जरिए समूह के कुछ पब्लिक कारोबार वाले शेयरों में लाखों डॉलर का निवेश किया गया था.

Advertisement

रिपोर्ट में दो लोगों का भी जिक्र है, जिन्होंने गुप्त रूप से अडानी समूह में भारी निवेश किया था. दोनों का संबंध अडानी परिवार से बताया गया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिल रही है. लेकिन OCCRP का रिपोर्ट का सार क्या है..इसे 10 प्वाइंट में समझ लेते हैं. 

1. गुपचुप तरीके से शेयरों की खरीदारी

OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से अपने ही शेयर खरीदकर स्टॉक में लाखों डॉलर का निवेश किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि न तो भारत के शेयर बाजार नियामक और न ही कोई उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समिति यह साबित कर पाई है कि सार्वजनिक रूप से लिस्टेड अडानी समूह के स्टॉक के कुछ विदेशी मालिक वास्तव में इसके मेजॉरिटी मालिकों के लिए सिर्फ मुखौटा भर हैं. 

Advertisement

2. मॉरीशस के फंड से निवेश

OCCRP ने प्राप्त डॉक्यूमेंट्स द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स के साथ शेयर किए हैं. दस्तावेजों में कई टैक्स हेवन्स, बैंक रिकॉर्ड और अडानी समूह की कई इंटरनल फाइलों के रिकॉर्ड शामिल हैं, जो अडानी समूह पर स्टॉक में हेरफेर करने का आरोप लगाते हैं. इस दस्तावेज को कई देशों के अडानी समूह के कारोबार और पब्लिक रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी रखने वाले लोगों ने पष्टि की है. डॉक्यूमेंट्स ये दिखाते हैं कि कैसे मॉरीशस में स्थित 'अपारदर्शी' निवेश कोष के जरिए सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले अडानी समूह के स्टॉक में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया था.

3. गुप्त निवेशकों का अडानी परिवार से संबंध

कम से कम दो मामलों में अडानी स्टॉक होल्डिंग्स का प्रतिनिधित्व करते हुए गुप्त निवेशकों ने समूह के बहुसंख्यक शेयरधारकों, अडानी परिवार के साथ व्यापक रूप से संबंध होने की बात सामने आई है. दो व्यक्ति, नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग का अडानी परिवार के साथ लंबे समय से व्यापारिक संबंध हैं और उन्होंने अडानी समूह की कंपनियों और परिवार के वरिष्ठ सदस्यों में से एक विनोद अडानी से जुड़ी कंपनियों में निदेशक और शेयरधारक के रूप में भी काम किया है.

4. विनोद अडानी से संबंध

दस्तावेजों से पता चलता है कि मॉरीशस फंड के जरिए नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग ने ऑफशोर स्ट्रक्चर के जरिए अडानी समूह के स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए कई साल बिताए हैं. इसकी वजह से उनकी भागीदारी अस्पष्ट हो गई. दोनों ने खरीद-बिक्री की इस प्रक्रिया के जरिए काफी मुनाफा कमाया है. OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से लिखा है कि डॉक्यूमेंट्स यह भी दिखाते हैं कि दोनों के निवेश को मैनेज करने वाली कंपनी ने विनोद अडानी की कंपनी को निवेश पर सलाह देने के लिए भुगतान किया था.

Advertisement

5. क्या समूह में है दोनों निवेशकों की हिस्सेदारी?

OCCRP ने कहा कि क्या ये अरजमेंट कानून का उल्लंघन है या नहीं. ये सवाल इस बात पर निर्भर करता है कि क्या नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग को अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स की ओर से काम करने वाला माना जाना चाहिए. अगर ऐसा है तो अडानी समूह में उनकी हिस्सेदारी का मतलब यह होगा कि अडानी होल्डिंग्स में उनकी हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक हो जाएगी.

6. किस अवधि में ट्रेड के लिए फंड का हुआ इस्तेमाल?

OCCRP के पत्रकारों द्वारा प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि पैसे का एक बड़ा हिस्सा दो विदेशी निवेशकों- ताइवान के चांग चुंग-लिंग और संयुक्त अरब अमीरात के नासिर अली शाबान अहली द्वारा इन फंडों में लगाया गया था. उन्होंने 2013 और 2018 के बीच अडानी समूह की चार कंपनियों में बड़ी संख्या में शेयरों का ट्रेड करने के लिए इसका इस्तेमाल किया था. मार्च 2017 में एक समय पर अडानी समूह के स्टॉक में निवेश का वैल्यूएशन 430 मिलियन डॉलर था.

7. पैसे को कैसे किया गया चैनलाइज्ड?

रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसों को जटिल रास्ते इधर से ऊधर किया गया. इसे चार कंपनियों और बरमूडा बेस्ड निवेश कोष, जिसे ग्लोबल अपॉर्चुनिटीज फंड (GOF) कहा जाता है. उसके जरिए फंड को चैनलाइज्ड किया गया. 

Advertisement

मॉरीशस बेस्ड दो फंड के नाम सामने आए हैं. रिपोर्ट में कह गया है कि इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड (EIFF) और ईएम रिसर्जेंट फंड (EMRF), बाहर से देखने पर ये ऑफशोर निवेश के लिए इस्तेमाल होने वाले फंड प्रतीत होते हैं, जिन्हें कई बड़े निवेशकों की ओर से ऑपरेट किया जाता था.

8. इन चार कंपनियों का हुआ इस्तेमाल

निवेश में इस्तेमाल की गई चार कंपनियां लिंगो इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (BVI) थीं, जिसका स्वामित्व चांग के पास था. अहली के स्वामित्व वाली गल्फ एरिज ट्रेडिंग एफजेडई (UAE), मिड ईस्ट ओसियन ट्रेड (मॉरीशस), नासिर अली शाबान अहली इसका बेनिफिशियरी ऑनर था. इसके अलावा गल्फ एशिया ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (BVI), जिसका कंट्रोल अहली के पास था.

9. अडानी इन कंपनियों में हिस्सेदारी

पत्रकारों द्वारा प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, इन निवेशों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण मुनाफा हुआ. पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों करोड़ की कमाई हुई क्योंकि EIFF और EMRF ने बार-बार अडानी स्टॉक को कम कीमत पर खरीदा और इसे ऊंचे स्तर पर बेचा. जून 2016 में अपने निवेश के पीक पर, दोनों फंडों के पास अडानी समूह की चार कंपनियों के फ्री-फ्लोटिंग शेयर 8 से लेकर लगभग 14 प्रतिशत तक थे. इनकी हिस्सेदारी अडानी पावर, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अडानी ट्रांसमिशन में थी.

Advertisement

10. आपसी सहमति से खरीद-बिक्री का आरोप

मीडिया संगठन ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग का पैसा अडानी परिवार से आया था. लेकिन रिपोर्टिंग और दस्तावेज में एक एग्रीमेंट, कॉर्पोरेट रिकॉर्ड और शामिल ईमेल से पता चलता है कि दोनों का अडानी परिवार के साथ समन्वय था और आपसी सहमति से ही स्टॉक की खरीद-बिक्री होती थी.
 

 

Advertisement
Advertisement