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Adani Bribery Case: देश के सबसे बड़े वकीलों ने संभाला मोर्चा... कहा- 'अमेरिकी जांच में गौतम अडानी का नाम कहीं नहीं'

Adani Bribery Case: गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी समेत सात लोगों पर अमेरिका में लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों पर अडानी ग्रीन एनर्जी का बड़ा बयान आया है, जिसमें इस तरह के दावों को सिरे से खारिज किया गया है.

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गौतम अडानी
गौतम अडानी

भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) और उनकी कंपनी पर लगाए गए आरोपों पर अडानी ग्रुप की कंपनी Adani Green Energy की ओर से बड़ा बयान आय़ा है. इसमें कहा गया है कि रिश्वतखोरी के आरोपों से जुड़ी खबरें निराधार और गलत हैं. अमेरिकी भ्रष्टाचार प्रैक्टिस एक्ट (FCPA) के तहत आरोप लगाए जाने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं हैं और गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी या विनीत जैन पर यूएस डीओजे (US DOJ) के अभियोग या यूएस एसईसी ( US SEC) की सिविल शिकायत में निर्धारित मामलों में एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगा है. इस मामले में अब देश के सबसे बड़े वकीलों में से एक और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि अमेरिकी जांच में जो आरोपपत्र है उसमें गौतम अडानी पर आरोप नहीं लगाए गए हैं.  

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अडानी ग्रीन की ओर से आई सफाई
अडानी ग्रीन की ओर से ये जानकारी बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में भी दी गई है. इसमें कहा गया है कि गौतम अडानी, सागर अडानी या विनीत जैन पर नहीं, बल्कि अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग में केवल Azure और CDPQ अधिकारियों पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया गया है और अडानी ग्रुप की कंपनी के अधिकारियों पर रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली सभी रिपोर्ट्स में गलत दावे किए गए हैं. 
 
क्या है पूरा मामला?
बता दें, न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में सुनवाई के दौरान गौतम अडानी की कंपनी पर US में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और एक सोलर एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को मोटा रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि 2020 से 2024 के बीच अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ग्लोबल को ये सोलर प्रोजेक्ट दिलाने के लिए गलत रूट से भारतीय अधिकारियों 265 मिलियन डॉलर (करीब 2236 करोड़ रुपये) को रिश्वत दी गई.

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यही नहीं, रिश्वत वाली बात अमेरिकी कंपनी यानी एज्योर पावर ग्लोबल से छुपाई गई. इस कॉन्ट्रेक्ट के जरिए 20 साल में दो अरब डॉलर से ज्यादा मुनाफे का अनुमान लगाया गया था और इसका लाभ लेने के लिए झूठे दावे करते हुए लोन और बॉन्ड्स जुटाए गए. हालांकि इन आरोपों के बाद तत्काल स्टेटमेंट जारी करते हुए अडानी ग्रुप ने अमेरिकी जांच एजेंसी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि आरोप निराधार है, ग्रुप हर फैसला कानून के दायरे में लेता है.

मुकुल रोहतगी ने क्या कहा? 
इस मामले को लेकर बुधवार को पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं अडानी ग्रुप के प्रवक्ता के तौर पर नहीं बोल रहा हूं, लेकिन इस पूरे अभियोग में 5 आरोप या धाराएं शामिल हैं, जिनमें से धारा 1 और 5 सबसे ज्यादा अहम हैं और दोनों में ही गौतत अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी आरोप नहीं लगाए गए हैं. 

Mukul Rohatgi ने आगे कहा कि गौतम अडानी या सागर अडानी दोनों पर ही FCPA के तहत आरोप नहीं लगे हैं, जो भारत के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की तरह है. धारा-5 के तहत जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें इन दोनों का नहीं, बल्कि कुछ विदेशी व्यक्तियों का नाम शामिल है. 

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आरोप पत्र में विदेशी व्यक्तियों के नाम
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के मुताबिक, आरोपपत्र में यह स्पष्ट रूप से बताना होता है कि उस व्यक्ति ने ऐसा कृत्य किया है. जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं कि अडानी की ओर से भारतीय संस्थाओं को रिश्वत दी गई है, लेकिन आरोपपत्र में एक भी नाम नहीं दिख रहा है और न ही ये दिखाया गया है कि किस तरह से उन्हें रिश्वत दी गई, वे किस विभाग से संबंधित हैं.

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि गौतम अडानी और उनकी कंपनी अमेरिकी वकीलों से इस संबंध में कानूनी सलाह लेंगे. काउंट 1 और 5 में कई अन्य संस्थाओं के नामों को शामिल किया गया हैं, यह अडानी की ओर से स्पष्ट करना है कि वे इन व्यक्तियों से जुड़े हैं या नहीं.

महेश जेठमलानी बोले- कोई सबूत नहीं
इसके अलावा गौतम अडानी के खिलाफ रिश्वत खिलाने के आरोप (Gautam Adani Bribery Case) के मुद्दे पर वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अपनी राय रखी और कहा कि अभियोग पत्र में भारत में किसी रिश्वतखोरी की बात नहीं की गई है. आरोप केवल यह है कि रिश्वत देने की साजिश रची गई थी. भारत में कानून के उल्लंघन का कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. 

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जेठमलानी ने आगे कहा कि गौतम अडानी या अडानी ग्रीन्स में से किसी के खिलाफ अभियोग पत्र में कोई आरोप नहीं लगाया गया है. ये पूरा मामला Adani Green Energy द्वारा बांड जारी करने के बारे में है. कथित तौर पर उल्लंघन यह है कि बांड धारकों को सूचित किए बिना इन्हें जारी किया गया था और इसे भारत में नियमों का उल्लंघन बताया जा रहा है. इसके अलावा मामला यह है कि आपने भारत में लोगों को इन बांडों की सदस्यता लेने के लिए प्रेरित किया. लेकिन भारतीय कानून के किसी भी उल्लंघन के बारे में न तो कांग्रेस (Congress) ने कोई सबूत दिया है और न ही किसी अन्य ने कोई सबूत दिया है.

कांग्रेस की JPC जांच पर क्या कहा? 
वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि आरोप केवल इतना है कि रिश्वत देने का इरादा था. कथित षड्यंत्र के बारे में भी कोई सबूत नहीं है कि षड्यंत्र क्यों रचा गया? यह अभियोग पर एक न्यायिक आदेश है और मुझे नहीं पता कि अदालत ने किन साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की है. उन्होंने कांग्रेस की जांच की मांग पर कहा कि जब तक विपक्ष गौतम अडानी के खिलाफ ठोस सबूत नहीं लाता है, तब तक कोई जांच या जेपीसी नहीं होनी चाहिए. या तो वे सबूत लेकर आएं या फिर शोर मचाना बंद करें. बिना तथ्यों के उनकी आलोचना अनुचित है.

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