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Adani-Hindenburg Case: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में SEBI की जांच रहेगी जारी, SC ने दिया 14 अगस्त तक का वक्त

Adani Hindenburg Case : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी के हलफनामे की सॉफ्ट कॉपी याचिकाकर्ताओं को दी जाए और साथ ही सॉफ्ट कॉपी कोर्ट में जमा कर यह सुनिश्चित करके इसे रिकॉर्ड पर अपलोड किया जाए.

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अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी ने सोमवार को दाखिल किया था 43 पन्नों का हलफनामा
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी ने सोमवार को दाखिल किया था 43 पन्नों का हलफनामा

अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग मामले (Adani-Hindenburg Case) की सुनवाई अब एक महीने बाद की जाएगी. दरअसल, Supreme Court ने मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) को इस मामले में 14 अगस्त तक जांच जारी रखने की अनुमति दे दी है. मंगलवार को सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाते हुए के दौरान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ सिंह की अगुवाई वाली पीठ ने सेबी की जांच को लेकर स्थिति के बारे में जानकारी ली. इस पर रेग्युलेटर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि मामले की जांच जितना संभव है उतनी स्पीड से जारी है. 

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SC ने कहा, ये आपके मन की कल्पना!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल किया है. एक और याचिकाकर्ता जया ठाकुर के वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि रिपोर्ट खुद कह रही है कि जांच एजेंसियां जांच में सहायता नहीं कर रही हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति दर्ज कराई कि ये सही नहीं है. CJI ने भी वरुण ठाकुर से कहा कि रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है, ये आपके मन की कल्पना है. अपनी कल्पना यहां न थोपें. इस दौरान वकील एमएल शर्मा की ओर से कहा गया कि कोई पक्षकार अपने जवाब की कॉपी मुझे नहीं दे रहा, कोर्ट इस बारे में सभी को निर्देश दे. 

याचिकाकर्ताओं को मिले एफिडेबिट की कॉपी
मंगलवार को Supreme Court ने कहा कि सेबी के हलफनामे की सॉफ्ट कॉपी याचिकाकर्ताओं को दी जाए और साथ ही सॉफ्ट कॉपी कोर्ट में जमा कर यह सुनिश्चित करके इसे रिकॉर्ड पर अपलोड किया जाए. इस पर तुषार मेहता ने भरोसा दिलाया कि सबको सॉफ्ट कॉपी सुनिश्चित की जाएगी.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी ने मई 2023 में एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसने अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों में हेर-फेर का कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं देखा और कोई नियामक विफलता नहीं हुई. ये सुनवाई 15 मई को हुई थी, तब सेबी ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा था.

प्रशांत भूषण ने लगाया ये आरोप
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा कि सेबी का जवाब सोमवार को दाखिल किया गया और मीडिया के बीच बांट दिया गया. उन्होंने कहा कि इसे देरी से फाइल किया गया है. इस बीच प्रशांत भूषण ने सेबी पर अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि संबंधित पक्ष के लेन-देन और रिपोर्टिंग के नियमों में संशोधन भी किया गया है. गौरतलब है कि 10 जुलाई को सेबी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 43 पन्नों का एफिडेबिट दायर किया था. 

SEBI ने हलफनामे में क्या कहा?
सोमवार को कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में सेबी ने बताया कि वो 2016 से अडाणी ग्रुप की कंपनियों की कोई जांच नहीं कर रही है और ऐसे सभी दावे तथ्यात्मक रूप से निराधार हैं. हालांकि सरकार ने 2021 में लोकसभा में कहा था कि सरकार अडाणी ग्रुप की जांच कर रही है. सुप्रीम कोर्ट को एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों के बारे में जानकारी देने के साथ ही रिपोर्ट पर उचित आदेश देने का आग्रह भी किया गया था.

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24 जनवरी को जारी हुई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
नाथन एंडरसन के नेतृत्व वाली अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Reaserch) ने बीते 24 जनवरी 2023 को अपनी रिपोर्ट जारी कर Adani Group से 88 सवाल पूछे थे. हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है. हालांकि, इसके तुरंत बाद अडानी ग्रुप ने 413 पन्नों में हिंडनबर्ग के सवालों के जवाब दिया है. साथ ही अडानी समूह ने 88 में से 68 सवालों के फर्जी बताया. अडानी समूह की ओर से कहा गया था कि ये रिपोर्ट फर्जी और भ्रामक हैं.

इन पहलुओं की जांच कर रहे एक्सपर्ट कमेटी
गौरतलब है कि Adani-Hindenburg Case की जांच के लिए रिटायर्ड जज एएम सप्रे (Abhay Manohar Sapre) के नेतृत्व में छह सदस्यीय कमेटी बनाई थी. ये कमेटी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को आदेश दिया था. कमेटी में शामिल अन्य लोगों की बात करें तो इनमें जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं. ये एक्सपर्ट कमेटी सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) के उल्लंघन औरर मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में किसी भी तरह के हेर-फेर से संबंधित जांच कर रही है. 

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