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अडानी ग्रुप की जांच करेगा ये सरकारी पैनल, सदस्यों के नाम फाइनल!

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है. इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार को सड़क से लेकर संसद तक घेरने की कोशिश है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान एक्सपर्ट्स की जांच कमेटी गठित करने का सुझाव दिया था.

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अडानी ग्रुप की जांच के लिए सरकार ने गठित की कमेटी.
अडानी ग्रुप की जांच के लिए सरकार ने गठित की कमेटी.

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में आई गिरावट को विपक्ष ने जमकर सियासी मुद्दा बनाया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. फिर देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार को अडानी ग्रुप की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मामले में जांच के लिए विशेषज्ञ कमेटी के गठन का सुझाव दिया. अब खबर है कि केंद्र सरकार ने विशेषज्ञ समिति के लिए कुछ नामों की लिस्ट तैयार कर ली है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है. समूह की कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन (Mcap) घटकर आधा हो गया है.

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सीलबंद लिफाफे में सौंपे जाएंगे नाम

सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि पैनल के लिए नाम सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंपे जाएंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा चुने गए नामों में विभिन्न क्षेत्रों के डोमेन विशेषज्ञ शामिल हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विशाल तिवारी और एडवोकेट एमएल शर्मा ने याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच कराए जाने की मांग की थी. सरकार द्वारा गठित कमेटी सुझाव देगी कि मौजूदा नियामक व्यवस्था को कैसे बेहतर बनाया जाए. साथ ही निवेशकों के हितों को कैसे सुरक्षित किया जाए.

सरकार ने जताई थी सहमति

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने का सुझाव दिया था, जिसपर केंद्र सरकार ने सहमति जताई थी. सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में सुनवाई के दौरान कहा था कि सेबी और दूसरी नियामक संस्थाएं इस तरह के हालात से निपटने में पूरी तरह समर्थ और सक्षम हैं. लेकिन कोर्ट अगर अपनी ओर से कोई कमेटी का गठन करता है तो भी सरकार को कोई एतराज नहीं है. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि कमेटी के लिए प्रस्तावित नामों की सूची सीलबंद लिफाफे में जमा कर दी जाए.

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एडवोकेट विशाल तिवारी और एडवोकेट एमएल शर्मा कहा था कि ये मामला राष्ट्र की साख से जुड़ा है. ऐसे में हिंडनबर्ग ग्रुप के खिलाफ जांच की जाए. याचिका में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाने की मांग रखी थी. बता दें कि सेबी अडानी ग्रुप से जुड़े मामले को देख रही है. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री निर्माला सीतरमण ने साफ कर दिया था कि हिंडनबर्ग ने जो आरोप अडानी ग्रुप पर लगाए हैं. इसकी वजह से देश की स्थिति किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुई है और नियामक अपना काम कर रहे हैं.

हिंडनबर्ग का दावा

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियां 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियां 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में लगा हुआ है. 

 

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