अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने बॉन्ड बायबैक की शुरुआत कर दी है. कंपनी ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि वो बकाया 3.375 फीसदी सीनियर नोट्स में से 130 मिलियन डॉलर वापस खरीदने की योजना बना रही है. 24 जनवरी 2023 को आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद पहली बार अडानी ग्रुप ने बॉन्ड बैयबैक की शुरुआत की है. कंपनी इस कदम से अपने निवेशकों का भरोसा जीतना चाहती है. APSEZ ने कहा कि 3.375 फीसदी डॉलर-मूल्यवर्ग के बॉन्ड 2024 में मच्योर होंगे.
निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश
कंपनी ने एक बयान में कहा कि टेंडर प्रस्ताव का उदेश्य आंशिक रूप से शॉर्ट टर्म में कर्ज के मैच्योर होने से पहले भुगतान करना है. साथ ही निवेशकों को बताना भी है कि लिक्विडिटी की स्थिति सामान्य है. इसके जरिए कंपनी निवेशकों का विश्वास हासिल करना चाहती है. इस प्रस्ताव के सफल समाप्ति के बाद कंपनी को उम्मीद है कि 520,000,000 अमेरिकी डॉलर के नेट बकाया रहेंगे. इस टेंडर प्रस्ताव के बाद कंपनी अगली चार तिमाहियों में लगभग 130,000,000 अमेरिकी डॉलर के बकाया नोटों को नकद में खरीदने की पेशकश करना चाहती है.
इन बैंकों को बनाया लीड मैनेजर
कंपनी ने यह भी कहा कि वह अपनी लिक्विडी की स्थिति और बाजार की स्थितियों के साथ-साथ मूल्य निर्धारण जैसी अन्य शर्तों के अधीन इस योजना को गति दे सकती है या स्थगित कर सकती है. इनमें से प्रत्येक किश्त के लिए अलग से घोषित की जाएगी.
APSEZ ने टेंडर ऑफर के लिए बार्कलेज बैंक PLC, DBS बैंक, अमीरात NBD बैंक, फर्स्ट अबू धाबी बैंक, MUFG सिक्योरिटीज एशिया लिमिटेड सिंगापुर ब्रांच, SMBC निक्को सिक्योरिटीज और स्टैंडर्ड चार्टर्ड को डीलर मैनेजर के रूप में नियुक्त किया है. कंपनी ने कहा कि टेंडर ऑफर के लिए मोरो सोडाली लिमिटेड सूचना और टेंडर एजेंट हैं.
हिंडनबर्ग ने दिया था जोरदार झटका
यह घोषणा हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आने के तीन महीने के बाद आई है. रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप की कंपनियों को जोरदार झटका दिया था. अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैपिटलाजेशन में लगभग 114 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था. रिपोर्ट के आने से पहले अडानी दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों (Top-10 Billionaires) की लिस्ट में चौथे पायदान पर मौजूद थे, लेकिन देखते-ही-देखते महीनेभर में 37वें पायदान पर खिसक गए थे.
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर, अकाउंट फ्रॉड और अन्य वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था. हालांकि, गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था.