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चीन सरकार की आलोचना भारी पड़ी! दो महीने से 'गायब' हैं Alibaba ग्रुप के फाउंडर जैक मा 

ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा और Ant ग्रुप के फाउंडर चीनी अरबपति कारोबारी जैक मा पिछले दो महीने से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं. उन्होंने हाल में चीन सरकार की नीतियों की आलोचना की थी, जैक मा के इस तरह गायब होने के बाद कई तरह के संदेह भी जाहिर किए जा रहे हैं.

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जैक मा ने चीन सरकार की आलोचना की थी (फाइल फोटो)
जैक मा ने चीन सरकार की आलोचना की थी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जैक मा ने चीन सरकार की नीतियों की आलोचना की थी
  • करीब 2 महीने से वे पब्लिकली नजर नहीं आए हैं
  • उनकी कंपनियों के खिलाफ कई तरह की कार्रवाई की गयी

ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा और Ant ग्रुप के फाउंडर चीनी अरबपति कारोबारी जैक मा पिछले दो महीने से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं. उन्होंने हाल के दिनों में चीन सरकार की नीतियों की आलोचना की थी, जिसके बाद उनकी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की गयी थी. 

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जैक मा के इस तरह गायब होने के बाद कई तरह के संदेह भी जाहिर किए जा रहे हैं. न्यूज एजेंसियों के मुताबिक हाल में अफ्रीका में अपने कंपनी से जुड़े एक बड़े कार्यक्रम 'अफ्रीका बिजेनस हीरोज' में भी वे नजर नहीं आए. उनकी तस्वीरें भी शो की वेबसाइट से हटा दी गयीं. 

मुखर वक्ता हैं जैक मा

गौरतलब है कि जैक मा को कम्युनिस्ट देश चीन के लिहाज से काफी मुखर माना जाता है. वे अक्सर सार्व​जनिक कार्यक्रमों में वक्ता के रूप में दिख जाते थे. वह अपने मोटिवेशनल स्पीच के लिए युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं.

पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने चीन के शहर शंघाई में चीन के वित्तीय नियामकों और सरकारी बैंकों की तीखी आलोचना की थी. उन्होंने वैश्विक बैकिंग नियमों को 'बुजुर्गों का क्लब' करार दिया था. उन्होंने चीन सरकार से आग्रह किया था कि सिस्टम में बदलाव किया जाना चाहिए ताकि कारोबार में नई पहल करने में कोई हिचके नहीं. 

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आ गये बुरे दिन 

सरकारी नीतियों की आलोचना वाले जैक मा के इस स्पीच से सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी भड़क गयी थी. उनकी आलोचाना को सरकार और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना के रूप में लिया गया. इसके बाद से ही जैक मा के बुरे दिन शुरू हो गये.

उनके कारोबार की तरह-तरह से जांच शुरू कर दी गयी. चीनी प्रशासन ने पिछले साल नवंबर में जैक मा के Ant  ग्रुप के करीब 37 अरब डॉलर के आईपीओ पर रोक लगा दी. वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया कि यह रोक सीधे राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आदेश पर लगायी गयी थी. 

 

 

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