पूरे भारत के मुकाबले दक्षिण के पांच राज्यों के लोग सबसे ज्यादातर कर्जदार हैं. 2013-2019 के अखिल भारतीय कर्ज और निवेश सर्वेक्षण (AIDIS) के आंकड़ों के हवाले से घरेलू एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घरेलू कर्ज भारत के बाकी हिस्सों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में अधिक था.
दरअसल, देश के अन्य हिस्सों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में घरेलू कर्ज अधिक है.न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक साल 2019 में 67.2 फीसदी के साथ तेलंगाना में ग्रामीण परिवारों का सबसे अधिक कर्ज का अनुपात था और 6.6 फीसदी के साथ नागालैंड में ग्रामीण परिवारों का सबसे कम कर्ज था.
रिपोर्ट के मुताबिक केरल में करीब 47.8 फीसदी शहरी परिवार कर्जदार थे, जबकि मेघालय में सबसे कम 5.1 फीसदी शहरी परिवार कर्जदार थे. आंकड़ों की मानें तो अन्य बड़े राज्यों में उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में कर्जदार परिवारों का सबसे कम अनुपात था, जबकि शहरी क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ का अनुपात सबसे कम था.
बता दें, दक्षिणी राज्यों में प्रति व्यक्ति आय देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक थी, फिर भी इन राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों में अधिक कर्जदार थे.
रिपोर्ट की मानें तो इस द्विभाजन को समझने के तरीकों में से एक घरेलू कर्ज की औसत राशि, घरेलू संपत्ति का औसत मूल्य और कर्ज-परिसंपत्ति अनुपात को देखना है, क्योंकि अक्सर कर्ज की मात्रा संपत्ति से जुड़ी होती है.
गौरतलब है कि देश के 5 ऐसे दक्षिणी राज्य हैं, जहां ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों के लिए संपत्ति अनुपात का उच्चतम कर्ज है, उनमें से चार राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना हैं, जबकि पांचवां कर्नाटक का संपत्ति अनुपात अखिल भारतीय औसत से अधिक है. यह बताता है कि दक्षिणी राज्यों में परिवारों का एक उच्च अनुपात कर्जदार है.