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Air India की दिल्ली हाईकोर्ट में दलील, ‘नोटिस पीरियड में इस्तीफा वापस नहीं ले सकते 40 पायलट’!

अलग-अलग कारणों से इस्तीफा देने वाले एअर इंडिया (Air India) के करीब 40 पायलट अब अपना इस्तीफा वापस नहीं ले सकते. दिल्ली हाईकोर्ट में इस विवाद पर चल रही सुनवाई के दौरान एअर इंडिया ने यही दलील दी. जानें पूरा मामला

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टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया की बोली जीत ली है (File Photo)
टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया की बोली जीत ली है (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दो जजों की खंडपीठ कर रही मामले की सुनवाई
  • एअर इंडिया का पक्ष रखने आए सॉलिसिटर जनरल
  • सिंगल जज की बेंच ने पायलटों के पक्ष में दिया था फैसला

एअर इंडिया (Air India) के करीब 40 पायलटों के अलग-अलग कारणों से इस्तीफा देने का विवाद अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में एअर इंडिया का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा. अदालत में सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने के बाद कोई भी पुरानी सेवा शर्तों पर फिर से बहाली का दावा नहीं कर सकता है.

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40 पायलट नोटिस पीरियड में

जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस तलवंत सिंह की खंडपीठ के सामने मेहता ने कहा कि ये 40 पायलट अभी नोटिस पीरियड में है, और कोई यह कहकर अपना इस्तीफा वापस नहीं ले सकता कि वह नोटिस पीरियड पर है.

इस मामले में एकल जज की पीठ ने पायलटों के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसे एअर इंडिया ने दो जजों की खंड पीठ के समक्ष चुनौती दी है. एकल जज की अदालत ने कई पायलटों को नौकरी से निकालने के फैसले पर रोक लगा दी थी.  साथ ही उन पायलटों को फिर से नौकरी पर रखने का आदेश दिया था. इनमें स्थाई और अस्थाई दोनों दर्जे के पायलट शामिल हैं.

एअर इंडिया की दलील

तुषार मेहता ने एअर इंडिया की ओर से दलील देते हुए कहा कि ऐसा कोई नोटिस पीरियड नहीं होता है जिसमें कर्मचारी अपना इस्तीफा वापस ले सकता है. उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने के 6 महीने के बाद तक पायलट को एविएशन सेक्टर की जरूरत के मद्देनजर काम करना पड़ता है. उन्होंने तर्क दिया कि कानून के मुताबिक इस्तीफा देते ही वह प्रभावी हो जाता है. यहां तो इस्तीफा मंजूर भी कर लिया गया था. हालांकि इसके बावजूद भी जनहित में 6 महीने तक पायलट को काम करना पड़ता है, क्योंकि एक पायलट के प्रशिक्षण पर भारी रकम खर्च होती है.

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पायलटों ने दिया था ये तर्क

पायलटों का तर्क है कि एअर इंडिया के पक्ष को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि किसी का इस्तीफा परिस्थितियों पर निर्भर करता है और ये 6 महीने का नोटिस पीरियड पूरा होने पर ही प्रभावी होता है. यहां तो पायलट अपने इस्तीफे वापस लेना चाहते थे. लेकिन एअर इंडिया ने उनकी मांग तब स्वीकार नहीं की थी. लिहाजा उन्हें अदालत की शरण लेनी पड़ी. पायलट हाई कोर्ट आए और कोर्ट ने उन्हें वापस नौकरी पर रखने का आदेश दिया था. अब एअर इंडिया का कहना है कि वह उन्हें नौकरी पर तो रख सकती है लेकिन पुरानी सेवा शर्तों और वेतन भत्तों पर नहीं, बल्कि नई सेवा शर्तो पर.

हो रहा एअर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन

इस बीच सरकार ने एअर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन कर दिया है. टाटा ग्रुप ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर इसका परिचालन अपने हाथों में लेने की कवायद शुरू कर दी है. ये प्राइवेटाइजेशन दिसंबर 2021 तक पूरा हो जाना है. हालांकि प्राइवेटाइजेशन के साथ ये शर्त रखी गई है कि टाटा ग्रुप को कंपनी के सभी कर्मचारियों को कम से कम एक साल तक नौकरी पर रखना होगा. उसके बाद ही वह उन्हें वॉलिएंटरी रिटायरमेंट दे सकती है.

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