भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अमेरिका की ई-वाणिज्य कंपनी एमेजॉन (Amazon) को डबल झटका दिया है. आयोग ने शुक्रवार को एमेजॉन और फ्यूचर कूपंस के बीच 2019 में हुई डील को सस्पेंड कर दिया है. साथ ही डील की अनुमति लेने के लिए अहम जानकारियां छिपाने को लेकर एमेजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
रिलायंस-फ्यूचर डील से जुड़ा मामला
एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच ये कानूनी विवाद असल में रिलायंस और फ्यूचर समूह के बीच पिछले साल अगस्त में हुई 24,713 करोड़ रुपये की डील से जुड़ा है. Reliance-Future Deal के तहत फ्यूचर समूह की रिटेल और लॉजिस्टिक कंपनियों की पूरी हिस्सेदारी रिलायंस समूह को मिलने वाली है. लेकिन फ्यूचर समूह इस डील को लेकर अमेरिका की ई-वाणिज्य कंपनी एमेजॉन के साथ सालभर से ज्यादा समय से उलझा है.
CCI ने लगाया Amazon पर जुर्माना
इस मामले में CCI एमेजॉन के 2019 में फ्यूचर ग्रुप में किए गए 20 करोड़ डॉलर (करीब 1,500 करोड़ रुपये) के निवेश की समीक्षा कर रहा था. सीसीआई इस बात की जांच कर रहा था कि फ्यूचर समूह में निवेश के लिए एमेजॉन कहीं तथ्यों को छिपाकर तो अनुमति नहीं ली.
अब समीक्षा के बाद सीसीआई ने अपने 57 पेज के आदेश में कहा है कि ’यह आवश्यक है कि इस डील (एमेजॉन-फ्यूचर कूपंस डील) को नए सिरे से देखा जाए. एमेजॉन इस आदेश की प्राप्ति के बाद 60 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल कर सकती है. तब तक 2019 की इस डील पर रोक बनी रहेगी.’
सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है कि एमेजॉन ने इस सौदे के लिए अनुमति लेने के दौरान डील के वास्तविक स्कोप को कम करके दिखाया, साथ ही कई गलतबयानी भी की.’
CAIT भी कर चुका है शिकायत
एमेजॉन और फ्यूचर समूह के कानूनी विवाद (Amazon-Future Legal Battle) से पहले छोटे व्यापारियों के संगठन CAIT ने भी कई मौकों पर एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी विदेशी निवेश वाली ई-वाणिज्य कंपनियों के गैर-प्रतिस्पर्धी रवैये को लेकर शिकायत की है.
क्या है फ्यूचर-एमेजॉन का विवाद
फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर रिटेल के पास बिगबाजार जैसा बड़ा रिटेल ब्रांड है. ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने देश के रिटेल बाजार में अपना दखल बढ़ाने के लिए 29 अगस्त 2020 को 24,713 करोड़ रुपये में फ्यूचर समूह के साथ एक सौदा किया. इससे रिलायंस को बिग बाजार के साथ-साथ फ्यूचर ग्रुप के अन्य रिटेल, गोदाम, लॉजिस्टिक और थोक कारोबार का मालिकाना हक मिलना है. लेकिन इस सौदे में एमेजॉन के साथ एक पेंच फंसा है.
दरअसल फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर ग्रुप की ही एक और कंपनी फ्यूचर कूपन्स की हिस्सेदारी है. इस फ्यूचर कूपन्स में 2019 में एमेजॉन ने 49% हिस्सेदारी खरीदी थी. साथ ही उसे ये अधिकार भी मिला था कि भविष्य में फ्यूचर ग्रुप जब भी कंपनी की हिस्सेदारी बेचना चाहेगा तो एमेजॉन के पास उसे खरीदने का पहला अधिकार होगा. इस मामले में एमेजॉन सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत से अपने पक्ष में फैसला कराने में सफल रही है, जिसने इस डील पर रोक लगा दी है.
इस कानूनी विवाद में अभी अगर एमेजॉन की जीत होती है तो तत्काल में रिलायंस के फ्यूचर समूह का अधिग्रहण करने की योजना पर ग्रहण लग जाएगा. मौजूदा समय में रिलायंस बहुत तेजी से इंडियन मार्केट में अपना विस्तार कर रही है. अभी कंपनी के देशभर में 13,000 से ज्यादा आउटलेट हैं. साथ ही वह ई-कॉमर्स का विस्तार भी तेजी से कर रही है. इस मार्केट में दूसरे स्थान पर फ्यूचर समूह है जिसके देशभर में 1500 से ज्यादा स्टोर हैं.
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