scorecardresearch
 

Future-Reliance Deal से बाजार में बढ़ेगा रिलायंस का ‘कंट्रोल’, विदेशी निवेशकों का मन होगा खराब: Amazon

Future-Reliance Deal: फ्यूचर-रिलायंस डील को लेकर एमेजॉन और फ्यूचर समूह को कानूनी लड़ाई लड़ते हुए सालभर से ज्यादा समय हो गया है. अब अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन का कहना है कि अगर इस सौदे को आगे बढ़ाया जाता है तो इससे विदेशी निवेशकों में एक नकारात्मक संदेश जाएगा और घरेलू रिटेल कंपनी रिलायंस को आगे भी बाजार प्रतिस्पर्धा रोकने में मदद मिलेगी.

Advertisement
X
साल भर से ज्यादा वक्त हो गया एमेजॉन-फ्यूचर विवाद को (Photo : Getty)
साल भर से ज्यादा वक्त हो गया एमेजॉन-फ्यूचर विवाद को (Photo : Getty)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘विदेशी निवेशकों के बीच जाएगा निगेटिव मेसेज’
  • रिलायंस देश का सबसे बड़ा रिटेल ग्रुप
  • ‘इंडियन मार्केट में प्रतिस्पर्धा को होगा नुकसान’

Future-Reliance Deal: फ्यूचर-रिलायंस डील को लेकर एमेजॉन और फ्यूचर समूह को कानूनी लड़ाई लड़ते हुए सालभर से ज्यादा समय हो गया है. अब अमेरिका की ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन का कहना है कि अगर इस सौदे को आगे बढ़ाया जाता है तो इससे विदेशी निवेशकों में एक नकारात्मक संदेश जाएगा और घरेलू रिटेल कंपनी रिलायंस को आगे भी बाजार प्रतिस्पर्धा रोकने में मदद मिलेगी.

Advertisement

दरअसल, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) इस मामले में समीक्षा कर रहा है. वह फ्यूचर समूह की इकाई में एमेजॉन के 2019 में किए गए 20 करोड़ डॉलर (करीब 1,500 करोड़ रुपये) के निवेश के लिए दी गई अनुमति पर विचार कर रहा है.

एमेजॉन पर आरोप है कि जब उसने इस निवेश के लिए अनुमति ली थी तो कई तथ्यों को छुपा लिया था. इसी संदर्भ में एमेजॉन ने अपना जवाब सीसीआई के पास जमा कराया है जिसके आधार पर रॉयटर्स ने ये खबर दी है.

‘विदेशी निवेशकों के लिए स्थायित्व नहीं’

अपने जवाब में एमेजॉन ने कहा है, ‘सीसीआई का अपने पूर्व की अनुमति की समीक्षा करना विदेशी निवेशकों के बीच ये संदेश भेजेगा कि भारत में अर्थव्यवस्था और नियामकीय ढांचे का स्वरूप इतना विकसित नहीं हुआ है कि वह विदेशी निवेश को स्थायित्व प्रदान कर सके’. अपने 60 पेज के जवाब में एमेजॉन ने कहा है कि इतना ही नहीं ’फ्यूचर-रिलायंस सौदा रिलायंस को बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका देगा, जो भारतीय रिटेल सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को आगे और रोकेगा’

हालांकि इस दस्तावेज के बारे में एमेजॉन, रिलायंस, फ्यूचर समूह और सीसीआई किसी ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है.

Advertisement

ये है फ्यूचर-एमेजॉन का विवाद

फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर रिटेल के पास बिगबाजार जैसा बड़ा रिटेल ब्रांड है. ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने देश के रिटेल बाजार में अपना दखल बढ़ाने के लिए 29 अगस्त 2020 को 24,713 करोड़ रुपये में फ्यूचर समूह के साथ एक सौदा किया. इससे रिलायंस को बिग बाजार के साथ-साथ फ्यूचर ग्रुप के अन्य रिटेल, गोदाम, लॉजिस्टिक और थोक कारोबार का मालिकाना हक मिलना है. लेकिन इस सौदे में एमेजॉन के साथ एक पेंच फंसा है.

दरअसल फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर ग्रुप की ही एक और कंपनी फ्यूचर कूपन्स की हिस्सेदारी है. इस फ्यूचर कूपन्स में 2019 में एमेजॉन ने 49% हिस्सेदारी खरीदी थी. साथ ही उसे ये अधिकार भी मिला था कि भविष्य में फ्यूचर ग्रुप जब भी कंपनी की हिस्सेदारी बेचना चाहेगा तो एमेजॉन के पास उसे खरीदने का पहला अधिकार होगा. इस मामले में एमेजॉन सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत से अपने पक्ष में फैसला कराने में सफल रही है, जिसने इस डील पर रोक लगा दी है.

इस कानूनी विवाद में अभी अगर एमेजॉन की जीत होती है तो तत्काल में रिलायंस के फ्यूचर समूह का अधिग्रहण करने की योजना पर ग्रहण लग जाएगा.  मौजूदा समय में रिलायंस बहुत तेजी से इंडियन मार्केट में अपना विस्तार कर रही है. अभी कंपनी के देशभर में 13,000 से ज्यादा आउटलेट हैं. साथ ही वह ई-कॉमर्स का विस्तार भी तेजी से कर रही है. इस मार्केट में दूसरे स्थान पर फ्यूचर समूह है जिसके देशभर में 1500 से ज्यादा स्टोर हैं.

Advertisement


ये भी पढ़ें: 

Advertisement
Advertisement