NSE की पूर्व एमडी एवं सीईओ चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) ने एक अज्ञात योगी के कहने पर 20 साल तक कई बड़े फैसले किए. इन फैसलों में आनन्द सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) की नियुक्ति का निर्णय भी शामिल था. इस फैसले को लेकर अब काफी बातें हो रही हैं. सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक रामकृष्णा ने 'योगी' के कहने पर सुब्रमण्यम को अविश्वसनीय Salary Hike देकर नियुक्त किया था. इतना ही नहीं मनमाने तरीके से उन्हें प्रमोट भी किया गया था और उन्हें NSE में नंबर 2 बना दिया गया था. आइए जानते हैं कि आखिर सुब्रमण्यम की नियुक्ति कैसे हुई थी और वह कैसे इतने पावरफुल बन गए थे.
1000% Hike के साथ नियुक्ति
NSE ज्वाइन करने से पहले सुब्रमण्यम Balmer Lawrie और ICICI group के एक ज्वाइंट वेंचर में काम करते थे. वह चेन्नई में Employed थे और यहां उनका सालाना पैकेज 14 लाख रुपये से थोड़ा ज्यादा था. इसके बाद एक अप्रैल, 2013 को NSE में उनकी नियुक्ति MD और CEO के चीफ स्ट्रेटेजिक एडवाइजर (CSA) के तौर पर हुई. उन्हें उस समय 1.38 करोड़ रुपये का सालाना पैकेज ऑफर किया गया. इस तरह उन्हें अपनी पिछली सैलरी से करीब 1000% का हाइक मिला था. सुब्रमण्यम को चित्रा रामकृष्णा के ठीक बगल वाली केबिन दी गई थी. इस तरह कंपनी के कर्मचारियों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया गया था कि कंपनी में सुब्रमण्यम की हैसियत नंबर 2 की होगी.
कैपिटल मार्केट का नहीं था कोई एक्सपीरियंस
सुब्रमण्यम को जब रामकृष्णा का CSA नियुक्त किया गया था तो उन्हें कैपिटल मार्केट का कई एक्सीपरियंस नहीं था. हालांकि, इसका असर सुब्रमण्यम की सैलरी हाइक और प्रमोशन पर बिल्कुल देखने को नहीं मिला. अप्रैल, 2014 में उनके सालाना पैकेज को 1.68 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2.01 करोड़ रुपये कर दिया गया. अप्रैल, 2015 में उनका सालाना पैकेज बढ़ाकर 3.33 करोड़ रुपये कर दिया गया. इसके साथ-साथ उन्हें ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) की भी जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 2016 में उनका पैकेज बढ़कर 4.21 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
मुंबई के साथ-साथ चेन्नई से काम करने की सहूलियत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुब्रमण्यम को मुंबई के साथ-साथ चेन्नई से भी काम करने की सहूलियत मिली हुई थी. इसके लिए खास इंतजाम किए गए थे. यह व्यवस्था उनके GOO बनने के बाद भी बनी रही. रामकृष्णा ने सुब्रमण्यम को GOO की जिम्मेदारी देते हुए कहा था कि वह उनका बोझ कम करेंगे.
एकसाथ दी गई थीं ये जिम्मेदारियां
सुब्रमण्यम NSE में काफी पावरफुल थे. उन्हें लोगों के प्रबंधन से लेकर नए बिजनेस, कॉरपोरेट कम्युनिकेशन, मार्केटिंग, बिजनेस एक्सीलेंस, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, प्राइसिंग, स्ट्रैटेजिक प्लानिंग और कई अन्य जिम्मेदारियां दी गई थीं.
अक्टूबर 2016 में हुई थी विदाई
NSE की ऑडिट कमेटी की जांच में सुब्रमण्यम की नियुक्ति को गलत बताया गया था. अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में NSE Board की मीटिंग हुई थी. जांच रिपोर्ट के रिव्यू के लिए यह मीटंग हुई थी. इसमें मीटिंग में सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया था कि सुब्रमण्यम को अपने पद से इस्तीफा देना होगा. बोर्ड की अगले दिन फिर बैठक हुई जिसमें रामकृष्णा भी मौजूद थीं. इस बैठक में बताया गया कि आनंद को तत्काल अपना पद छोड़ना होगा. इसके एक घंटे के भीतर NSE के पावरफुल GOO ने इस्तीफा दिया और ऑफिस से निकल गए.
पांच साल से ज्यादा समय बाद सेबी का फैसला
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अपने हालिया फैसले में रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही NSE, सुब्रमण्यम और NSE के अन्य पूर्व एमडी एवं सीईओ रवि नारायण पर दो-दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. तत्कालीन चीफ रेगुलेटरी ऑफिसर एवं कम्पलाइंस ऑफिसर वी. आर. नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्मान लगाया गया है. इसके अलावा सेबी ने कहा है कि रामकृष्णा और सुब्रमण्यम किसी भी मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडियटरी के साथ तीन साल तक एसोसिएट नहीं हो सकते हैं. इस संबंध में नारायण पर दो साल की पाबंदी लगाई गई है.