अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कथित तौर पर इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मार्केट में एंट्री करने के लिए तैयारी कर रही है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट का दावा है कि कंपनी ने इलेक्ट्रिक कार और बैटरी बनाने की अपनी योजनाओं पर सलाह देने के लिए पूर्व BYD एग्जीक्यूटिव संजय गोपालकृष्णन को सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर 250,000 वाहनों की शुरुआती क्षमता वाले ईवी प्लांट के निर्माण के लिए लागत और अन्य चीजों के बारे में जानकारी जुटा रही है, जिसे बाद में 750,000 वाहनों तक बढ़ाया जा सकता है. रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कंपनी बैटरी निर्माण प्लांट स्थापित करने की व्यवहार्यता भी तलाश रही है, जिसकी शुरुआत 10 गीगावॉट क्षमता से होगी और अगले दशक में इसे 75 गीगावॉट तक बढ़ाया जाएगा.
हालांकि कंपनी ने इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इस बीच रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में तेजी देखी जा रही है, मंगलवार को भी शेयर 2% से ज्यादा चढ़कर 216.40 रुपये पर बंद हुआ.
क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज से होगी टक्कर?
अगर इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल जाती है तो अनिल अंबानी की कंपनी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के साथ सीधे कम्पटिशन में आ जाएगी, जो पहले से ही स्थानीय बैटरी विनिर्माण पर काम कर रही है और 10 गीगावॉट घंटे बैटरी सेल उत्पादन के लिए सरकारी सब्सिडी प्राप्त कर चुकी है.
2030 तक EV मार्केट को बढ़ाना है
भारत का ईवी मार्केट अभी भी अपनी शुरुआती अवस्था में है, पिछले साल बेची गई 4.2 मिलियन कारों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 2% से भी कम थी. हालांकि सरकार का लक्ष्य 2030 तक इसे 30% तक बढ़ाना है, जिसके तहत ईवी और बैटरियों के स्थानीय विनिर्माण के लिए 5 बिलियन डॉलर से अधिक की सब्सिडी दी जाएगी. यह बाज़ार संभावना, टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और हुंडई जैसी प्रमुख ऑटो कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी के साथ मिलकर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक आशाजनक अवसर पेश करती है.
मुकेश अंबानी की कंपनी की क्या है योजना?
Reliance Industries ने दो नई सहायक कंपनियों का भी गठन किया है, जिसमें रिलायंस EV प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है, जिसका लक्ष्य वाहनों और पुर्जों का विनिर्माण और कारोबार करना है. कंपनी आने वाले महीनों में अपनी ईवी प्लान को अंतिम रूप देने के लिए चीनी फर्मों समेत भागीदारों की सक्रिय रूप से तलाश कर रही है.
अनिल अंबानी के लिए आसान नहीं होगी राह
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर भारी कर्ज और कैश फ्लो की समस्याओं समेत वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही है. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि कंपनी ईवी परियोजना को कैसे फंडिंग करने की योजना बना रही है. हालांकि, बीवाईडी के एक पूर्व कार्यकारी के साथ और सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाने की क्षमता के साथ, अनिल अंबानी अपनी कंपनी को तेजी से बढ़ते ईवी क्षेत्र में एक बड़ी वापसी के लिए तैयार कर सकते हैं.