एशियन पेंट्स (Asian Paints) आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. घरों में रंगाई-पुताई की बात आती है, तो सबसे पहले जुबां पर इस सेक्टर में देश की इसी सबसे बड़ी कंपनी का नाम आता है. भारत को आजादी मिलने से पहले शुरू हुई ये कंपनी आज 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यू की हो चुकी है. इसके शुरुआत की कहानी बेहद ही दिलचस्प है. इसे शुरू करने का आइडिया एक नहीं, बल्कि में चार दोस्तों का था और इसके पीछे अंग्रेजों की एक साजिश जिम्मेदार थी. आइए जानते हैं कैसे और कब शुरू हुई ये पेंट कंपनी?
आजादी से पहले शुरू हुई थी कंपनी
जब देश में अंग्रेजी हुकूमत थी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) असहयोग आंदोलन चला रहे थे. 1940 के उस दशक में भारत में रंगाई-पुताई के लिए Paint विदेशों से आता था, लेकिन आंदोलन के बीच अंग्रेजी शासन ने आयात पर बैन लगाया हुआ था और इसके कारण देश में पेंट की काफी दिक्कत होने लगी थी. अंग्रेजों के आयात पर बैन के बीच चार दोस्तों को अचानक गैराज में बैठे-बैठे एक आइडिया आया और उन्होंने Paint Business शुरू करने का प्लान बना लिया.
चार दोस्तों का आइडिया और हो गई शुरुआत
अंग्रेजी शासन के फैसले पर अलग तरीके से विरोध जताते हुए चंपकलाल चोकसी, चिमनलाल चोकसी, सूर्यकांत दानी और अरविंद वकील ने पेंट बिजनेस शुरू करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए और साल 1942 में मुंबई में एशियन पेंट्स एंड ऑयल प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की थी. शुरुआती दौर में इन चार दोस्तों की टोली ने छोटी सी जगह पर Paint बनाने की शुरुआत की और इसे प्लास्टिक पाउच में पैक करके घर-घर जाकर बेचते थे. घरेलू पेंट प्रोडक्ट के प्रमोशन का ये तरीका काम आया.
जमीनी स्तर पर की गई इन चार दोस्तों की मेहनत धीरे-धीरे रंग लाती गई. लोगों को देशी रंग इतना पसंद आया कि शुरुआत के कुछ सालों बाद बाजार में इसका दबदबा बढ़ता हुआ चला गया, जो आज तक कायम है. जब एशियन पेंट्स शुरू की गई थी, तब कंपनी सिर्फ कुछ रंगों के पेंट का ही प्रोडक्शन करती थी. इनमें सफेद, काला, लाल, पीला और हरा रंग शामिल था. फिर कारोबार बढ़ने के साथ इसने अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में लगातार इजाफा किया.
आजादी से बढ़ने लगा था कारोबार
अभी देश को आजादी भी नहीं मिली थी और देश में Asian Paints का कारोबार नई बुलंदियों पर पहुंचता दिखने लगा था. रिपोर्ट्स की मानें, तो अपनी शुरुआत के महज तीन साल के भीतर ही 1945 में कंपनी का प्रॉफिट बढ़तक 3 लाख रुपये पर पहुंच गया. लाखों का कारोबार साल-दर-साल बढ़ते हुए करोड़ों में पहुंच गया. साल 1952 में इसने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया था. इस समय तक एशियन पेंट्स जाना-माना नाम बन चुका था. आजादी के बाद कंपनी ने अपने प्रमोशन और एडवर्टाइजेंट पर ज्यादा फोकस किया, जिसका असर इसके कारोबार पर देखने को मिला.
'मैस्कॉट गट्टू' ने किया कमाल
मैस्कट गट्टू ऐसा नाम था जिसने कंपनी को अलग पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई. ये कोई शख्स नहीं, बल्कि कंपनी के प्रमोशन के लिए तैयार कार्टून का नाम था. खास बात ये है कि कंपनी के लिए मशहूर कार्टुनिस्ट आर.के लक्ष्मण ने 1954 में ये Cartoon बनाया था और इसका नाम रखने के लिए एक बड़ा कॉम्पिटीशन करवाया था, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था. आखिरकार एशियन पेंट्स के पहले कार्टून के लिए 'Mascot Gattu' के नाम पर मुहर लगी. ये इतना पॉपुलर हुआ कि एशियन पेंट्स (खासतौर पर ट्रैक्टर ब्रांड) टॉप पर पहुंच गया.
कारोबार विस्तार पर फोकस करते हुए Asian Paints ने महाराष्ट्र के भांडुप में प्लांट लगाते हुए प्रोडक्ट्स की रेंज बढ़ाई. 60 के दशक में एशियन पेंट्स ने और आगे बढ़ते हुए फिजी में अपना पहला विदेशी प्लांट स्थापित कर दिया था. अब कंपनी गिने-चुने नहीं, बल्कि हजारों कलर, थीम, टेक्सचर और शेड के पेंट्स बनाने लगी थी और लोगों के पास बेशुमार ऑप्शन हो गए थे. कम दाम से लेकर महंगे पेंट प्रोडक्ट इस कंपनी के पोर्टफोलियो में शामिल थे.
आज 2 लाख करोड़ से ज्यादा वैल्यू
लाखों के कारोबार के साथ हुई शुरुआत अब लाखों करोड़ तक पहुंच चुकी है. Asian Paints Market Cap सोमवार 10 मार्च को 2.19 लाख करोड़ रुपये पर था. कंपनी के विज्ञापनों में भी बड़े-बड़े सेलेब्रिटी नजर आते हैं, इनमें दीपिका पादुकोण से लेकर रणवीर सिंह जैसे स्टार शामिल हैं. कंपनी के शेयर की बात करें, तो 2270 रुपये पर खुला था और कारोबार के दौरान 2292 रुपये तक गया था. इस शेयर का ऑल टाइम हाई लेवल 3,394.90 रुपये है. बीते साल 2024 तक कंपनी में 9,482 कर्मचारी काम कर रहे थे.