सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में मोबाइल फोन बनाने के लिए 16 कंपनियों को इन्सेंटिव देने को मंजूरी दी है. इनमें देसी से लेकर विदेशी कंपनियां शामिल हैं, लेकिन कोई भी चीनी कंपनी नहीं है.
इन कंपनियों को मंजूरी
इन कंपनियों के द्वारा अगले पांच साल में करीब 10.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के मोबाइल फोन उत्पादन की उम्मीद है. इनमें आईफोन बनाने वाली ऐपल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर फोन बनाने वाली फॉक्सकॉन होन हाई, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन के प्रस्ताव शामिल हैं. इसके अलावा सैमसंग और राइजिंग स्टार के प्रस्तावों को भी मंजूरी मिली है.
स्वदेशी कंपनियों में लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स (डिक्सॉन टेक्नोलॉजीज), यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है. इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा वाली कैटेगिरी में एटीऐंडएस, एसेंट सर्किट्स, विजिकॉन, वालसिन, सहस्रा और नियोलिंक के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है.
क्या है योजना
गौरतलब है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल में एक उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) का ऐलान किया था. इसके तहत कहा गया था कि जो कंपनियां भारत में मोबाइल फोन का उत्पादन करेंगी उन्हें सरकार सब्सिडी देगी. इसके तहत इन कंपनियों को हर साल बिक्री के मुताबिक 4 से 6 फीसदी का इन्सेंटिव दिया जाएगा.
इसे चीन के वर्चस्व को कम करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है. गौरतलब है कि भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर अभी चीनी कंपनियों की करीब 70 फीसदी की हिस्सेदारी है. भारतीय बाजार में वर्चस्व रखने वाली चीनी कंपनियों में शाओमी, विवो, ओप्पो, वन प्लस, रियलमी जैसी कंपनियां हैं.
सरकार का कहना है कि इन 16 प्रस्तावों को मंजूरी देने से अगले पांच साल में 2 लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष रोजगार का भी सृजन होगा. यही नहीं ये कंपनियां 11,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश भी लाएंगी.